हर दिन भगवा लव ट्रेप का बढ़ता मकड़जाल, जिसका किस तरह से मुकाबला करना है मुमकिन?

भगवा लव ट्रैप एक ऐसा जाल है, जो मुसलमानों को कमजोर करने के लियें दुश्मानने इस्लाम ने बच्चियों उनकी बेटियों को जरिया बनाया है। और हम इतने नअहल हैं हम उनके इस जाल में मुक्रु-फरेब में फंस ते जा रहे हैं।आज तक न जाने हमारी कितनी बहन बेटियां भगवा लव ट्रैप में फंस कर मुर्तद हो गई हैं, और न जाने आगे भी कितनी होने वाली हैं?
लेकिन अफसोस की सबसे अहम ये बात है हमने हमारी कौम हमारे मुआशरे ने इससे बचने की कोई तैयारी नहीं की है।

बस हम तमाशा देख रहे हैं और अपनी जलालत पर अफसोस सद-अफसोस जाहिर कर रहे हैं!
लेकिन मेने सोच समझ कर कुछ पॉइंट कुछ अहम पॉइंट गिनाये हैं जो यहाँ पर अहम हैं।
हम किस तरह से साजिश का शिकार होती अपनी बेटियों को अपनी बच्चियों बहनों को बचा सकते है?
और हम अपनी कौम की नो-जवान बहनों बेटियों को मुर्तद होने से बचा सकते हैं।

अपने गावँ, क़स्बे, शहर मोहल्ले में सबसे पहले तमाम मस्जिदों के इमाम व ज़िम्मेदारान की एक मीटिंग कीजिये और उनको मौजूदा साजिश और ज़मीनी सूरते हाल से तमाम सुबूतों के ज़रिए आगाह कराइये, क्योंकि अक्सर हमारे इमाम दुनियावी मामलात में काफ़ी कम इल्म रखते हैं ( नोट- ये काम हर उस मुसलमान पर फ़र्ज़ है जिसको इस साजिश का किसी भी ज़रिये से इल्म है, वरना वो भी इन मुर्तद होती लड़कियों के बराबर ही गुनाहगार है अगर उसने सब कुछ जानते हुए भी दीन ईमान को बचाने की कोई पहल न की )

उसके बाद वो तमाम इमाम व ज़िम्मेदारान अपनी अपनी मस्जिदों में जुमा को इस साजिश से आगाही के लिए तक़रीर करें और उस तक़रीर का अंदाज़ इतना जज़्बाती, इतना सख़्त और मौजूदा हालात से इतना जुड़ा हो कि मुसलमानों के दीन ईमान के लिए मुर्दा हो चुके दिलों में हरारत पैदा कर सके और उनकी मर चुकी ग़ैरत को झिंझोर सके।

जुमा की तक़रीर में सख़्ती से तमाम लोगों को अपने घरों में और अपनी औलादों को सख़्त हिदायत व उनके मोबाइलों पर सख़्त नज़र रखने के साथ इस मसले पर खुल कर बात करने की ताक़ीद की जाए, क्योंकि अगर हम अपने अपने घरों को संभाल लेंगे तो तमाम मुआशरा संभल जाएगा।

हर मस्जिद में तक़रीर के बाद मस्जिद के क़रीबी गली मोहल्लों में ख़्वातीन की छोटी छोटी मजलिसें लगाने की ज़िम्मेदारी लेने वालों के नाम और उनके दिए हुए दिन व वक़्त भी साथ में लिखे जाएं और उनके दिए गए दिन और वक़्त पर इमाम साहब उनके घर पहुंच कर दीनी मजलिस लगाएं, ये काम अगर ख़्वातीन आलिमा को दिया जाए तो सबसे बेहतर होगा,

मजलिस की तक़रीरों का मक़सद ख़्वातीन में ईमान की हरारत पैदा करना, ईमान की क़ीमत और उसके लिए बुज़ुर्गाने दीन की दी गई क़ुर्बानियों का एहसास कराना, हराम हलाल की पहचान कराना, गुनाह और नेकी से ज़िन्दगी पर पड़ने वाले असरात को समझाना, ख़ुदा की रहमत और उसके हुक्मों को सब्र व शुक्र के साथ अपना लेने के नफ़ा नुक़सान से रूबरू कराना, ज़िन्दगी के बाद मौत और क़ब्र के अंजाम को समझाना, और आख़िरत की हमेशा हमेशा की ज़िंदगी के लिए इस दुनियावी ज़िन्दगी का सही इस्तेमाल करना सिखाना होना चाहिए, साथ ही मौजूदा हालात और साजिशों से अपने ईमान की हिफ़ाज़त की तालीम भी उस में ख़ास तौर से शामिल हो।

इन मजलिसों का ख़ात्मा तमाम मौजूदा ख़्वातीन को इस हिदायत के साथ किया जाए कि वो यहाँ से हासिल हुए इल्म को सिर्फ़ अपने तक महदूद न रखें बल्कि उन ख़्वातीन तक भी पहुंचाएं जो उस वक़्त उस मजलिस में शामिल न हो सकीं। और ये सिलसिला तमाम जगह कुछ महीनों और बरसों तक लगातार जारी रखा जाए, इसके अलावा ख़्वातीन की जमात निकाली जायें जिस से तमाम औरतें व लड़कियाँ अपनी नस्लों की परवरिश में एक पाक दामन औरत की एहमियत को समझ सकें।

वो खुवातीन उन बहनो को समझायें कि इस्लामी कल्चर क्या है, गेर मज़हबी (गेर मेहरम) शख्स से ताल्लुकात क्यों नाजयाज़ हैं, मैसेंजर ऑफ कुरान क्या है, उन्हें बताया जाए कि आप गेर मज़हबी शख्स ,गैर मुस्लिम के साथ कितना भी हुसंन ए शुलूक करलो लेकिन बो तब तक राजी न होंगे जब तक आप उसके दीन से वाबस्ता न होजाएँ।.

अगर आप गैर मुस्लिम से(जो की शरअतन नाजयाज़ है)शादी करते हैं तो आप तब तक जिनाह करते रहेंगे जब तक आप का साथी जो गैर मजहब का है मुसलमान न हो जाए।
ख्वातीन के वालिद और भाईयो को चाहिए कि दींनी कीताबे खरीद कर घर लाकर दें ताकि उन्हे खुवातीन घर पर पढ़े और इस्लामी कल्चर इस्लाम की हक्कनियत को समझें।

वालिद वलीदा को अपने बेटे बेटियों को सिर्फ कुरान पढा देना ही काफी नहीं है, बल्कि इससे अलग आज के जाहिलाना माहौल में अपना ईमान को कैसे बचाएं उनको इतना इल्म-ए-दीन हासिल कराना जरूरी है!
क्योंकि आज जितनी भी लड़कियाँ ईमान से फिर रहीं हैं गैर जात से शादियां कर रहीं हैं उनमे 95℅ लड़कियाँ कुरान पाक पढ़ी हुई हैं। उन्होंने अरबी में कुरान तो पढ़ा है लेकिन कुरान में एक ईमान वाले को अल्लाह ने क्या msg दिया है इसका इल्म नहीं है।

यही बजह है कि मुसलमान लड़कियाँ से गेर-मुस्लिम लड़को के मेल-जौल बढ़ाते हैं पहले उनके दोस्त बनते हैं फिर बाद मे उनसे इश्क़ का इजहार कर देते हैं, यहाँ तक के मुस्लिम लड़कियों का mind occupied कर लेते हैं कि अपना मजहब अपने मा-बाप सबको तर्क करके गेर मुस्लिम के साथ हो जाती हैं।

इसी लियें कुरान के साथ साथ जरूरी इल्म-ए-दीन की तालीम दी जाए जिससे वो अपना ईमान बचाया जा सके।
इस भगवा love ट्रैप की साज़िश से बच सके!

इन मजलिसों में ख़्वातीन को इस बात की हिदायत ख़ास तौर से दी जाए कि अगर उनको किसी लड़की के इस तरह के मामले में शामिल होने की ख़बर मिले तो वो अपने ज़िम्मेदार लोगों तक उस ख़बर को फ़र्ज़ समझ कर ज़रूर पहुंचाएं। क्योंकि अक्सर ख़्वातीन ऐसे मामलों में उन मामलों को छुपाती हुई पाई गई हैं।

उन इलाक़ों के भाई उन मजलिसों के कुछ तस्वीरें इस तरह से खींचे कि किसी ख़्वातीन की बेपर्दगी न हो लेकिन मजलिस में मौजूद ख़्वातीन की तादाद और इमाम साहब की मौजूदगी साफ़ दिखाई दे फिर उन तस्वीरों को अपनी मजलिस की कामयाबी की ख़बर के साथ सोशल मीडिया पर शेयर ज़रूर करें जिस से इस ज़मीनी अमल की जानकारी ज़्यादा लोगों तक पहुंच सके और उस जानकारी से दूसरे लोग भी मुतास्सिर हो कर अपने अपने इलाक़ों में ये काम अंजाम दे सकें।

हर गली मुहल्ले में समझदार लड़कों की एक टीम बनाइये जो अपने आस पास के माहौल और लव ट्रैप के मामलों पर नज़र रख सके और वक़्त रहते किसी मामले को पहचान कर बिना शोर शराबा किये वहाँ के ज़िम्मेदारा लोगों तक पहुंचा सके।

नोट- दोस्तों वैसे तो बहुत जगह ये ज़मीनी काम शुरू कर दिया गया है लेकिन ये अभी सिर्फ़ इतना ही है जितना आटे में नमक होता है और वो भी बेतरतीब किया जा रहा है इसलिए हमको इस काम को कामयाब बनाने के लिए इसको सही तरतीब से करना होगा, और ये जान लीजिए कि अगर हमने अपनी ख़्वातीन में ख़त्म होते ईमान को ज़िंदा नहीं किया तो हम किसी सूरत इस नासूर से छुटकारा नहीं पा सकेंगे।

और ख़ुदा के वास्ते इस साजिश को चंद आवारा लड़कियों का बुरा काम समझ कर नज़र अंदाज़ करने की भूल भूल कर भी नहीं करना क्योंकि ये साजिश हमारे मुआशरे में इस दर्जा अंदर आ चुकी है कि उसको खुल कर लिखना भी मुमकिन नहीं है, ये तारीख़ की सबसे घिनौनी और गहरी साजिश है जो हमारी नस्लों को नेस्तो नाबूद कर देगी अगर आज ही हम

इसको नहीं रोक सके तो अभी भी वक़्त है कि जाग जाइये और अपने हिस्से का फ़र्ज़ निभाइये वर्ना ख़ुदा हमको मुआफ़ नहीँ करेगा।

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