गुजरात के IPS संजीव भट्ट का ऐसे हाल बना डाला मोदी सरकार ने ? क्यों !

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रिपोर्टर:-

वह एक वक्त के गुजरात के आईपीएस संजीव भट्ट को पेशी पर देखकर उनकी पत्नी श्वेता भट्ट फफक कर रोने लगीं!
यह चित्र उसी समय का है , सोचिए कि यह परिवार ज़ुल्म के खिलाफ लड़ने की कितनी बड़ी सज़ा भुगत रहा है। आप संजीव भट्ट का चेहरा देखिए।

संजीव भट्ट का कसूर मात्र इतना था कि वह गुजरात दंगों में गुजरात सरकार और उसके मुखिया नरेन्द्र मोदी के सामने नहीं झुके और मुसलमानों का नरसंहार करती सरकार के सामने सीना तान कर खड़े हो गये।
अदालत में नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ और पीड़ित मुसलमानों के पक्ष में गवाही दी?
परिणाम ? आईपीएस की नौकरी गयी और अदालत-सरकार के गठजोड़ के कारण उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं।
मुझे याद नहीं आता कि एक भी मुस्लिम आर्गेनाईजेशन ने संजीव भट्ट के समर्थन में कोई आवाज़ उठाई हो या कोई आंदोलन किया हो या कोई मदद की हो।
यह एहसानफरामोशी है , हम नपुंषक एहसानफरामोश हो गये हैं और इस देश में हमारी बर्बादी की यही सबसे बड़ी वजह है।

यह कायरता है , जो लोग कहते हैं कि मुसलमान लीडर मसलेहत समझते हैं , उनपर उंग्ली नहीं उठाना चाहिए वह इतिहास नहीं जानते ।
1857 का गदर पढ़ लीजिए , उनकी हिम्मत व लीडरशिप आपके दिमाग में उतर जाएगी।
मुसलमानों को संजीव भट्ट , तीस्ता शीतलवाड़ से सीखना चाहिए कि ज़ुल्म के खिलाफ़ लड़ने की बजाय ज़ालिम के सामने झुक जाना “हिकमत” नहीं “नामर्दी” है।

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