SC के 6सौ वकीलों का चीफ जस्टिस को मशविरा इसे वार्निंग या धमकी कहा जाए?

नई दिल्ली

विशेष संवाददाता

चीफ जस्टिस को मशविरा, वार्निंग या धमकी ?

सुप्रीम कोर्ट के छः सौ वकीलों ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया को खत लिखा कि कुछ सीनियर वकीलों ने एक गरोह बनाकर सियासी और पेशेवर दबाव बना रहे हैं। यह एक मफादपरस्त ग्रुप है जो बेकार की दलीलों और घिसे-पिटे सियासी एजेण्डे की बुनियाद पर अदलिया (न्यायपालिका) पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
ऐसे वकीलों से अदलिया और सुप्रीम कोर्ट को बचाने की सख्त जरूरत है।

इस खत पर बार के दोनों लीडरान आदिश अग्रवाल और मनन कुमार मिश्रा के साथ ही सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्जवला पवार स्वरूप चतुर्वेदी और उदय होसा वगैरह के भी दस्तखत हैं। इस खत में जिस किस्म की जुबान और बातें लिखी गयी वह चीफ जस्टिस आफ इंडिया डी वाई चन्द्रचूड़ के लिए मश्विरा है, वार्निंग है या फिर धमकी?

अभी इसपर लोगों में बहस शुरू हुई थी कि चंद मिनट के अंदर वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी का एक्स पर मैसेज आ गया। उन्होंने इस खत को रिट्वीट करते हुए कहा कि धमकाना कांग्रेस का पुराना कल्चर है। अपने मैसेज में पीएम मोदी ने एक सौ चालीस करोड़ अवाम के कांग्रेस के खिलाफ और उनके (मोदी के) साथ होने का दावा किया। इस खत में यह भी कहा गया था कि वह ग्रुपबाज वकील दिन में सियासतदानों का बचाव करते हैं और रात में मीडिया के जरिए जजों पर दबाव डालने और उन्हें असरअंदाज करने का काम करते हैं।

खत में लिखा गया कि अपोजीशन पार्टियों ने जिनमें कुछ मशहूर वकील भी शामिल हैं इन लोगों ने दिल्ली की आबकारी पालीसी घोटाले ओर मनी लांड्रिंग मामले में वजीर-ए-आला अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ हाथ मिला लिया है। इन वकीलों के ग्रुप ने बेंच फिक्सिंग की पूरी कहानी गढा है जो न सिर्फ तौहीन आमेज है बल्कि अदालतों के एहतराम और इज्जत पर गहरी चोट है।
वकीलों के जरिए चीफ जस्स्टि को लिखे खत मामले में चंद मिनट के अंदर ही पीएम नरेन्द्र मोदी के कूद पड़ने से वाजेह (स्पष्ट) हो गया कि यह खत चीफ जस्टिस के लिए मश्विरा नहीं बल्कि सीधे-सीधे वार्निंग और धमकी है कि आपकी कयादत में सुप्रीम कोर्ट को अपोजीशन पार्टियों के फंसाए गए लीडरान को कोई रिलीफ नहीं मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी की नाराजगी चुनावी बाण्ड को रद्द किए जाने के फैसले की वजह से है।

लेकिन वह खुलकर इस मसले पर कुछ बोल नहीं सके हैं। अगर तीसरी बार मोदी की सरकार बन गई तो मुमकिन है उनकी सरकार पार्लियामेंट में बिल लाकर चुनावी बाण्ड से मुताल्लिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खत्म करने की भी कोशिश करे। मोदी ने अपने एक्स पर बयान में कहा कि कांग्रेस की धमकाने की पुरानी आदत है। सवाल यह है कि इसमें कांग्रेस कहां से आ गयी? अगर वकीलों की बात की जाए तो सरकार के खिलाफ मुकदमात में एक अभिषेक मनु सिंघवी ओर उनके बमुश्किल चार-पांच साथी हैं जिनका ताल्लुक कांग्रेस से है।

मोदी और आरएसएस के हामी छः सौ वकील धमकी भरा खत लिखते हैं और मोदी कह रहे हैं कि धमकाना कांग्रेस का पुराना कल्चर है!
आदत के मुताबिक वजीर-ए-आजम मोदी ने अपने इस पैगाम में भी झूट बोलते हुए कहा कि एक सौ चालीस करोड़ लोग कांग्रेस को खारिज करते हैं। तो क्या यह सभी एक सौ चालीस करोड़ अवाम मोदी के हामी हैं? बिल्कुल नहीं क्योंकि 2019 के लोक सभा एलक्शन में भी मोदी की बीजेपी को अड़तीस (38) फीसद वोट ही मिले थे। यह जुमला दरअस्ल चीफ जस्टिस को धमकाने के लिए लिखा गया और वाजेह इशारा किया गया कि जिन अपोजीशन पार्टियों के लीडरान को मोदी की ईडी ने सही या गलत तरीके से गिरफ्तार करके जेल भेजा है उन्हें कोई रिलीफ या जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

पीएम मोदी को शायद यह खदशा भी है कि जिस तरह बीजेपी ने कम्पनियों से चुनावी बाण्ड लेकर उन कम्पनियों को बड़े-बड़े सरकारी ठेके दिए गए या ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के छापों के बाद उन कम्पनियों से बाण्ड लिए गए। अगर किसी ने इस मामले में पीआईएल दाखिल कर दी तो दिल्ली की शराब पालीसी की तरह इन मामलात को रिश्वत तस्लीम करके सुप्रीम कोर्ट ईडी को इन बाण्डों की भी जांच करने का आर्डर दे सकता है और जिस दिन इस मामले में ईमानदारी से जांच हो गयी बीजेपी बहुत बुरी तरह फंस जाएगी और बेईमानी (भ्रष्टाचार) के खिलाफ कार्रवाई करने के मोदी के दावों की हवा ही निकल जाएगी।

छः सौ मोदी हामी वकीलों के इस धमकी भरे खत का सुप्रीम कोर्ट पर उल्टा असर ही दिखा। यह खत पहुंचने के बाद चार अहम बातें हुईं तीन फैसले और एक जस्टिस बी वी नागरत्ना का सख्त बयान। जस्टिस नागरत्ना ने नालसा हैदराबाद के एक जलसे में पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आठ नवम्बर 2016 को जो नोटबंदी हुई थी वह एक बड़ा घोटाला था। वह फैसला काला धन खत्म करने के लिए नहीं बल्कि कालेधन को सफेद करने के लिए था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आर्डर में एलक्शन कमीशन को सख्त हिदायत दे डाली कि हर ईवीएम के साथ वीपी पैट पर्ची निकालने का इंतजाम किया जाए ।पर्चियां वोटर्स के हाथों से ही अलग रखे बाक्स में डलवाई जाएं और उनकी भी गिनती की जाए। अगर सुप्रीम कोर्ट का यह आर्डर लागू हो गया तो वह बीजेपी के लिए चुनावी बाण्ड से ज्यादा खतरनाक होगा। फिर पीएम मोदी के चार सौ पार के नारे का क्या होगा? अपोजीशन पार्टियों के कई लीडरान का इल्जाम है कि बीजेपी और एलक्शन कमीशन की मिली भगत से ईवीएम में गड़बड़ी करके बीजेपी एलक्शन जीतती है।

कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने तो रामलीला मैदान में रैली में कह दिया कि बीजेपी और एलक्शन कमीशन की मैच फिक्सिंग के जरिए लोक सभा चुनाव जीतने की साजिश की जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो देश में आग लग जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दूसरा अहम फैसला देते हुए आम आदमी पार्टी के राज्य सभा मेम्बर को जमानत दे दी। उन्हें ईडी ने छः महीने से तिहाड़ जेल में डाल रखा था। जमानत भी जस्टिस संजीव खन्ना की कयादत वाली तीन जजों की बेंच ने दी बाकी दो जजों में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पी बी वराले शामिल थे।

हैरतनाक बात यह है कि जस्टिस खन्ना ने ईडी को लंच के बाद तक का वक्त दिया। इसके बावजूद ईडी ने जमानत दिए जाने पर एतराज नहीं किया। लंच के बाद एडीशनल सालीसिटर जनरल एस वी राजू ने अदालत को बताया कि उन्होंने ईडी से हिदायत हासिल कर ली है कि संजय सिंह को जमानत दी जाती है तो उसे कोई एतराज नहीं है। ईडी ने यूं ही एतराज करने से इंकार नहीं किया।

दरअस्ल उसके पास संजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं था। तीसरा मामला है पीएम मोदी के मुंह लगे इंतेहाई नजदीकी योग व्यापारी राम देव का। उन्होने कोरोना का इलाज करने वाली दवा कोरोनिल बनाने का एलान करते हुए उसके इश्तेहारात पूरे मुल्क के अखबारात में शाया कराए थे और टीवी चैनलों पर दिखवाए थे। उनका दावा झूटा था इसलिए मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने इश्तेहार न शाया कराने का आर्डर किया था। बेलगाम राम देव नहीं माने तो सुप्रीम कोर्ट ने तौहीन अदालत के इल्जाम मे उन्हें और बाल कृष्ण दोनों को दो अप्रैल को तलब कर लिया। अदालत में बुजदिल रामदेव हाथ जोड़े माफी मांगते रहे लेकिन जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस एहसान उद्दीन अमानउल्लाह ने साफ कह दिया कि रामदेव तुम्हारा गुनाह माफी लायक नहीं है दस अप्रैल को दोनों को फिर तलब किया गया है दोनों को सजा हो सकती है। मतलब यह छः सौ वकीलों के खत का उल्टा असर हुआ है।

संवाद:मोहमद अरशद यूपी

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