महान भारत की लोक संख्या 140 करोड़ से भी ज्यादा है कुछ अंध भक्त मानते कि महंगाई कम है लेकिन हकीकतन करोड़ों गरीब लोग आज भी भूखे है?

भारत की टोटल जनसंख्या 140 करोड़ से भी अधिक है।
140 करोड़ का 5% — 7 करोड़
सिर्फ 7 करोड लोग ऐसे हैं जिनके कारण जिनकी खर्च करने की क्षमता के कारण जिनके अपने शौक पूरा करने की क्षमता के कारण
सड़के, मॉल, चौपटिया , रेस्टोरेंट, बड़े बड़े मंदिर, पेट्रोल पंप, बस ट्रेन के एसी कोच , पर्यटक स्थल गुलजार दिखते हैं। धर्म स्थलों पर हजारों करोड़ के चढ़ावे चढ़ाते हैं।

देश की कुल जनसंख्या के मात्र इसी 5% के कारण अंधभगत अक्सर यह सिद्ध करने में कामयाब हो जाते हैं कि महंगाई है ही नहीं।
जबकि असल तस्वीर इसके उलट है।

देश के 95% लोग सड़कों मॉल चौपाटी रेस्टोरेंट मंदिर पेट्रोल पंप बस ट्रेन के एसी कोच पर्यटन स्थल की तरफ देख भी नहीं पाते।
यह 95% लोग अर्थात देश की 133 करोड़ जनसंख्या का 70% से अधिक दो वक्त का भोजन भी भरपेट नहीं कर पाते।
यह 95% लोग वह हैं जो कच्छा फटने पर कच्छा तक नहीं खरीद पाते।

इस 95% जनसंख्या अर्थात 133 करोड लोगों में से 70% से अधिक लोग ऐसे हैं जो नियमित रूप से अपने बच्चों की स्कूल की फीस नहीं दे पाते, मकान का किराया नहीं दे पाते, हाउस टैक्स नहीं दे पाते, नियमित रूप से अपने बिजली और पानी के बिल नहीं दे पाते, एक वक्त का भोजन आधे पेट करते हैं, बैंक और साहूकार का कर्ज नहीं चुका पाते, इनमें से कई आत्महत्या तक करने को बाध्य हो जाते हैं।

अंधों को मजे कर रही 5% जनसंख्या जिसके कारण सब कुछ गुलजार दिखता है अर्थात मात्र 7 करोड लोगों के कारण पूरे देश के बाकी 95% लोगों के संबंध में ऐसा कैसे कह सकते हैं कि वह लोग महंगाई से त्रस्त नहीं या किसी परेशानी के ग्रास नहीं?

संवाद;एडमिन

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