जाने किस तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना?

तकीम अहमद संवाददाता

भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि उसकी भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

दमुआ जनपद पंचायत जुन्नारदेव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में धांधली जोरों शोरों से हो रही है।.वही ग्राम चिकटबर्री से ग्राम इकलामासनी तक 5.5 किलोमीटर 133.98 लाख रुपये की लागत से 2020 में सड़क निर्माण हुआ।

लेकिन सड़क निर्माण के 3 साल के अंदर ही निर्माणधीन सड़क जर्जर हो चुकी है।. हर साल मेन्टेनेंस सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाता है।.ठेकेदार एवं अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही इस धांधली का दंश आम जनता झेल रही है।मध्यप्रदेश में विकास की बाते तो बहुत होती है, योजनाएं भी बनती हैं, काम भी शुरू होता है, लेकिन अंत में तमाम योजनाएं ठेकेदारों एवं अधिकारियों की साठ गांठ से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।

3 साल के अंदर ही सड़क हुई खस्ताहाल

जनपद पंचायत जुन्नारदेव की ग्राम पंचायत चिकटबर्री से ग्राम पंचायत इकलामासानी तक जाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से लगभग 5.5 किलोमीटर सड़क निर्माण किया गया। 2020 में सड़क बनी, लेकिन 3 साल के अंदर ही सड़क जर्जर होने लगी है। रास्ते गड्ढों से भर गए हैं। गाड़ियों की आवाजाही मुश्किल हो रही है। यहां हैरान करने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में ठेकेदार द्वारा सड़को का पांच वर्ष तक मेंटनेस करना होता है। ये किसी को नहीं पता।

क्योंकि जिले से लेकर अंतिम छोर तक ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। सड़कों की दुर्दशा के लिए अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से ही भ्रष्टाचार पनप रहा है।
गुणवत्ता जांच के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है और मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जाती है। ठेकेदार बिना मेंटेनेंस किए सरकार से पूरा पैसा ले रहे हैं, लेकिन पैसों को मेंटेनेंस पर कितना खर्च किया जाता है इसकी पोल तो सड़कें ही खोल रही है। ग्रामीणों की बार-बार शिकायत के बाद भी भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं होती।

सिर्फ कागजों पर होता है सड़क का मेन्टेनेंस

2020 में जब सड़क का निर्माण हुआ था तब चिकटबर्री एवं इकलामासानी पंचायत के लोगों में उत्साह चरम पर था। उन्हें लगा कि अब पक्की सड़क होगी तो आवाजाही आसान हो जाएगा, लेकिन निर्माण के बाद ही सड़क की बदहाली दिखने लगी। 3 सालों में सड़क जर्जर हो गई लेकिन आज तक किसी जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार ने इसकी सुध तक नहीं ली। बस कागजों पर मेंटनेस किया जाता है और सरकारी पैसों को भ्रष्टाचारी डकार जाते हैं।
जनता निष्पक्ष

जांच करवाना चाहती है जिससे बारिश में आवागमन में दिक्कत नहीं होगी।

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