कौन क्या खाता है उसकी फिक्र करने से पहले क्या तुमने कभी इसकी फिक्र की है कि तुम्हारी पत्नी क्या खाती है? कौन से धार्मिक ग्रंथ में ऐसा लिखा है कि मांस खाना घोर अपराध और पाप है?

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

अचानक ही कल्पलोक से ईश्वर ने आकर मोदी से पूछा
हे मोदी,
बुढ़ापे का असर हर इंसान पर होता है
तुम पर भी धूर्त उम्र का फंदा कसता जा रहा है।

कौन क्या खाता है इसपर ओझी नज़र डालना, किसी के खाने पर वाहियात बकवास करना इसी उम्र और आदत का प्रभाव है?
क्या तुमने कभी फ़िक्र की है कि तुम्हारी पत्नी क्या खाती है?

उम्र इतनी हो गई है तुम्हारी वत्स कि अब अपनी पत्नी के खान-पान पर ज्यादातर ध्यान‌ दो।दूसरों के परिवार पत्नी/बच्चों को गाली देने और जबरन दोष-आरोप की आदत अब छोड़ दो।

सुनो वत्स, मटन खाना “मुग़लिया माइंडसेट”नहीं है. सनातन काल से मनुष्य मांस खाता रहा है। मनुष्य के लिये मांसाहार जीवन की आवश्यकता, निर्भरता व परंपरा रही है कोई पाप नहीं।
तभी तो वेदों से लेकर महाभारत और अन्य ग्रन्थों में मांस बनाने का वर्णन है और विविध व्यंजन रेसिपी लिखी हुई हैं।
और ज्ञात रहे वत्स कि वो मुग़लों नहीं लिखे थे।

कहीं ज्ञान,शिक्षा व जागरूकता की कमी से तुम्हें किसी प्रकार का भ्रम तो नहीं हो गया वत्स?
या ये तुम्हारी सतत कपटी धूर्तता है जो दूसरों के बर्तनों में टक्कर मार रही है?

कारण जो हो पर तुम्हें ज्ञात होना चाहिये कि नवरात्र के देवी उत्सव में मां देवी को भी मांस/मछली का भोग लगाया जाता है..और आस्थावान श्रद्धालु भक्त उस मांस/मछली को प्रसाद मान कर खाते भी हैं।

माताजी के ऐसे बहुत मंदिर हैं जहाँ पूरे साल पशुबलि होती है।
वत्स, तुम जाने-अंजाने माताजी के प्रसाद का अपमान तो नहीं करना चाहते?
वत्स मोदी,सर्वविदित है और तुमने स्वयं जग से कहा है कि तुम अज्ञानी,अशिक्षित हो
किंतु तुम्हें फिर भी अपने अशिक्षित ज्ञान का अतुलनीय घमंड है।

तो तुम्हारे उसी ज्ञानी-अज्ञानी घमंड से पूछता हुं कि बताओ कौन सी धार्मिक किताब में लिखा है कि नवरात्र या सावन में मांसाहार मना है?
जो नहीं खाते या उपवास रखते हैं..वह उनकी इच्छा मर्ज़ी है और जो खाते हैं वह उनकी इच्छा मर्ज़ी है।

ये बताइए कि
इसमें धर्म को कहां से ले आये तुम?

क्या तुम मांस खाने वाले सभी मनुष्यों को मुसलमान मानते हो?
बताओ वत्स..
क्या सावन/नवरात्र में तुम भारत से “मांस का निर्यात” बंद कर देते हो.?
नहीं ना वत्स..तुम्हारे संरक्षण व सहमत भागीदारी से तुम्हारे मितरों का मांस का व्यवहार जारी रहता है।

तभी तो भारत इस वक़्त “बीफ़ एक्सपोर्ट” में विश्व मे नम्बर1 है।
कहां से आता है वो मांस..?
और क्यों मांस का व्यापार घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है?

और वत्स, तुम्हारे इलेक्टोरल बांड से खुलासा हुआ है कि तुम्हारी बीजेपी ने तो बीफ़ एक्सपोर्ट वालों से 250 करोड़ का भारी भरकम चंदा भी ले लिया है।
चलो फिर भी
तुम्हारी ही बात मानकर तुमसे पूछता हुं मोदी,
क्या ऐसे वचनों से तुम‌ क्या ये कहना चाहते हो कि तुम मांसाहार और मांसाहारियों को अछूत,अपराधी और हीन निंदनीय मानते हो और उनका सामाजिक बहिष्कार तिरस्कार चाहते हो?

आखरी उपदेश क्या इस प्रकार तुम ये एलान करना चाहते हो वत्स कि तुम्हें और बीजेपी को सिर्फ़ शुद्ध शाकाहारियों के वोट चाहिए
और कोई भी मांसाहारी तुम्हें और बीजेपी को वोट ना करे?
अंतर्ध्यान

संवाद;पिनाकी मोरे

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