इसका जवाब दें चुनाव आयोग, कि भारत में ईवीएम अंडा देती है या फिर वोट देने पर वह प्रेगनेट हो जाती है?

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

चुनाव आयोग, क्या भारत मे EVM “अंडा” देती है? या फिर वोट देने पर EVM प्रेग्नेंट हो जाती है? आखिर ईवीएम को समझ क्या रखा है?

यह सब एकबएक पहले फेज़ के 11 रोज़ बा’द और दूसरे फेज़ के 3 रोज़ बा’द वोट प्रतिशत 6% बढ़ चुका है?

ये कैसे मुमकिन है?
कैसा कैलकुलेशन है?
बढ़ा हुआ वोट किसे गया?
EVM ने “वोट बच्चा” कैसे पैदा किया?

उस समय देश में जब EVM नहीं थी तब चुनाव आयोग 24 घन्टो के दरम्यान वोट परसेंटेज बता देता था..और आज डिजिटल ज़माने में 11 रोज़ लगते है? हम क्यों ना कहें कि यह सरासर वोट चोरी का मामला है?

एक और ख़तरनाक बात : चुनाव आयोग हर लोकसभा में वोटर की ता’दाद और वोट का परसेंटेज भी नहीं बता रही है!

जब देश को वोटर की संख्या और वोट परसेंटेज ही नहीं मा’लूम है तो वोट का मतलब क्या बचा?
अब तो गोदिमीडिया भी सवाल पूछ रहा है कि ऐसे कैसे वोट परसेंटेज बढ़ सकता है? परसेंटेज गिनने में 11 रोज़ कैसे लग सकते है?

चुनाव आयोग, एक बात याद रखना..’अवाम के सब्र का पैमाना जब छलकता है तब बड़े बड़े बादशाह उस सैलाब में बह जाते हैं।तुम तो कुछ भी नहीं इंसाफ़ से ना कोई बचा है नाही तुम बचोगे।

साभार
कृष्णन अय्यर

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