अब तो बेहद जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा देर नही होनी चाहिए ईवीएम रद्द के मामले में तुरंत फैसला सुनाए

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Evm कैंसिल हो और बैलट पेपर से चुनाव हो, इसी बात की मुख्य लड़ाई होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट देर नहीं करे , ईवीएम रद्दीकरण के मामले में तुरंत फैसला सुनाए
आचार संहिता लागू होने के बाद, केंद्र सरकार नहीं मानेगी कोर्ट की बात।

वैसे तो चुनाव आयोग पहले से ही बिक चुका है सत्ताधारियों के हाथों सो वह भी नहीं मानेगा ,कोर्ट की बात, समय की कमी का खूब करेगा बहाने बाजी।
सुप्रीम कोर्ट भी इसके बाद दे सकता है लंबी लंबी तारीखें, करेगा टालमटोल, बनी हुई है अंदरूनी मिली भगत।

बहुत गहरा षड्यंत्र है सावधान रहे जनता, गुजराती गैंग विपक्षी दलों को कंगाल बना रहा है।
Sbi पर अवमानना का केश लंबा खींचेगा , मामले को उलझाने की साजिश।
एसबीआई के वरिष्ठ अपसरों पर एफआईआर दर्ज कर तुरंत गिरफ्तारी हो।
विपक्ष और सिविल सोसाइटी के लोग सुप्रीम कोर्ट को इधर उधर भागने नहीं दें, बहकने नहीं दें

गौर तलब कीजिए कि इलेक्टरल बांड के मामले में सरकार और एसबीआई के ढीला ढाले रवैया से इस मामले में न्याय मिलने की संभावना कमजोर हो रही है। करीब 7 साल की धीमी सुनवाई के बाद इस घोटाले को असंवैधानिक तो करार दिया गया। लू इसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी खामोश है। उसके फैसले का कोई लाभ आम जनता को मिलता नहीं दिखाई दे रहा है ।

जबकि हालात इतने खराब है देश के घोटालेबाजों से तो सत्ता रुढ़ दल को बेशुमार पैसा मिल रहा है। पहले भी मिल रहा था । कौन पैसा दे रहा है, यह मामला अभी तक गुप्त है। रहस्य मय है।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कोई सहयोग नहीं कर रहा है। जबकि उसके पास पूरी सूचना , पूरी जानकारी है। फिर भी देश विक्रेताओं को बचाने के लिए वह कोर्ट से झूठ बोल रहा है । केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय को वह पहले भी इस मामले की जानकारी दे चुका है।
फिर कोर्ट से क्यों छुपा रहा है? इसी अपराध के लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के तमाम शीर्ष अफसरों को जेल भेजा जा सकता है। जेल भेजा जाना चाहिए भी।

देश की पूरी आवाम की अपील है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में कड़ा फैसला सीधा उठाना चाहिए । अवमानना का केस चलाने से पूरा मामला 6 महीना, साल भर तक के लिए लटक जाएगा और इसी बीच लोकसभा चुनाव हो जाएंगे तथा सत्ता रूढ़ दल को पूरा फायदा मिल जाएगा।

सभी विपक्ष की दलों, प्रगतिशील लोगों , गरीबों , पिछड़ों,दलित आदिवासियों, सामाजिक न्याय के लोगों और सिविल सोसाइटी के लोगों को इस मुद्दे पर एक जुट होकर देश भर में आंदोलन तुरंत छेड़ देना चाहिए तथा कोर्ट पर पूरा दबाव बनाना चाहिए।
साथ ही ईवीएम को हटाने तथा वैलेट पेपर से चुनाव कराने के मामले को भी जल्द से जल्द सुनवाई पूरा कर उसे पर फैसला दिलवाना चाहिए।

बजट पेपर से चुनाव का फैसला अगर सुप्रीम कोर्ट नहीं देता है तो समझो इसकी पूरी मिली भगत है, क्योंकि कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दल पैसे की कमी से जूझ रहे हैं। उनके पास पैसा नहीं है तो वह चुनाव कैसे लड़ेंगे । वह तो बूथ स्तर पर कार्यकर्ता भी नहीं रख पाएंगे। चुनाव प्रचार का खर्च भी अकेले उम्मीदवार को उठाना होगा।

ऐसे तो विपक्षी दलों के फटेहाली का पूरा फायदा गुजराती गैंग उठाने के चक्कर में है और वह उठा भी ले जाएगा। इसलिए जनता को खुद अपने बूते पर विपक्ष की उम्मीदवारों को जिताना होगा।
सुप्रीम कोर्ट पर भी पूरा दबाव बनाना होगा ताकि वह सही फैसला जल्द से जल्द दे। धीमा फैसला , लेट फैसला और उलझाऊ फैसले से देश विक्रेता गैंग को ही फायदा मिल रहा है।
पिछले 10 साल से यही देखा गया है। कोर्ट पर न्याय लेने के लिए पूरा दबाव जनता को बनाना होगा।


साभार; कर्नल (रि. ) सोनाराम भारद्वाज और पिनाकी मोरे

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