शादी ब्याह में डीजे बेंड बाजा और डांस का माहौल रहा तो क्या मौलाना नहीं पढ़ायेंगे निकाह ?
रिपोर्टर.
शादी विवाह (बारात) में अगर डीजे बजा तो मौलाना निकाह नहीं पढ़ायेंगे ! डांस-गाने,ढोल-तमाशे सब शरीयत के खिलाफ है।
जी हां सुनने में आप को भले ही ये अजीब लगा रहा हो लेकिन सुल्तानपुर के मौलानाओं ने इसके लिये एलान कर दिया है।
उन्होंने साफ कह दिया है कि अगर शादी के दौरान उन्हें डीजे डांस जैसी चीजें दिखाई दी तो वे निकाह पढ़ाये बिना ही वापस लौट आयेंगे।
वैसे तो शादियों में बैण्ड बाजे, डीजे, ढोल तमाशों का चलन बहुत ज्यादा हो गया है।
इन सब चीजों के बगैर पूरी बारात ही सूनी लगने लगेगी!
लेकिन ध्वनि प्रूदूषण रोकने और शरीयत को इसके खिलाफ बताने वाले जिले के दो मौलानाओं ने इसके लिये कमर कस ली है।
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल लतीफ और मदरसा जामिया इस्लामिया के मौलाना मोहम्मद उस्मान कासमी ने एलान कर दिया है कि अगर किसी शादी के दौरान डीजे या ढोल-तमाशों का प्रयोग हुआ तो ये लोग निकाह पढ़ाये बिना ही वापस लौट आयेंगे !
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल लतीफ की माने तो डीजे बाजा जैसी चीजें शरीयत में हराम मानी गयी हैं,
जबकि निकाह एक इबादत है। ऐसे में डीजे में डांस करते हुये जाने से निकाह की रहमतें और जहमते जायल हो जाती हैं।
लिहाजा इन्होंने ऐसा फैसला लिया है।
वहीं मदरसा जामिया इस्लामिया के मौलाना मोहम्मद उस्मान कासमी कहते हैं कि वह काम जिसको करने से लोगों को परेशानी होती है गलत है।
यही हाल डीजे आदि बजने पर भी होता है।
तेज ध्वनि में डीजे बजने से ज्यादा सबसे ज्यादा परेशानी जहां मरीजों और वृद्धों को होती है तो वहीं सड़क जाम की समस्या भी इससे उत्पन्न होती है।
लिहाजा इन लोगों ने फैसला किया है कि अगर ऐसा कहीं होता है तो ये लोग बिना निकाह पढ़ाये ही वापस लौट आयेंगे।
इतना ही नहीं इन्होंने लोगों से अपील भी की है कि अगर ऐसा कहीं होता है तो आप लोग भी ऐसी जगह जाने से परहेज करें।
अगर हम शुरुआत करेंगे तभी दूसरों से कह सकेंगे।
फिलहाल समाज सुधारने की ये छोटी सी पहल क्या रंग लायेगी यह तो समय ही बतायेगा।
लेकिन एक बात तो साफ है कि किसी बड़े से बड़े काम को करने के लिये शुरुआत छोटे से ही शुरू करनी पड़ती है!