ये सब बेमतलब की बात है NDTV को लेकर सोशल मीडिया में फिल हाल जो कुछ मातम हो रहा है!

एनडीटीवी को लेकर सोशल मीडिया में अभी जो मातम हो रहा है वह बेमतलब है, क्योंकि इस चैनल का 95 फीसदी दरबारीकरण तो 2016 में ही हो चुका था जब सरकार ने उसे एक दिन के लिए ऑफ एयर यानी प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था।

हालांकि वह आदेश प्रणब रॉय और अरुण जेटली के बीच हुई बैठक के बाद स्थगित कर दिया गया था और तब से आज तक स्थगित ही है। प्रणब रॉय और जेटली की उस मुलाकात के बाद ही एनडीटीवी भक्ति मार्ग पर चल पड़ा था। प्रणब रॉय और राधिका रॉय के यहां आयकर और ईडी के छापे पड़ना भी बंद हो गए थे और उसके बाद उनकी विदेश यात्राओं पर भी कभी रोक नहीं लगी।

जेटली की सिफारिश पर ही इस चैनल में उनके वफादार कई लोगों की भर्ती हुई थी और उनके जो चिंटू पहले से भर्ती थे उनका प्रमोशन हुआ था। ये सारे लोग रोजाना कैमरे के सामने वही करते थे जो आजतक, एबीपी, जीन्यूज, इंडिया टीवी, न्यूज18 आदि तमाम चैनलों में होता है।

पूरे 24 घंटे में एकाध घंटे सरकार की आलोचना वाले एक-दो कार्यक्रम होते थे तो वे भी सरकार की सहमति से ही होते थे, बतौर सेफ्टी वॉल्व, इससे ज्यादा उनका कोई मतलब नहीं था। इसलिए अब औपचारिक रूप से इस चैनल के बिक जाने पर हो रहे रुदन का कोई मतलब नहीं है।

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