मज़हब के ठेकेदारों ज़रा आप ही बताओ मुल्लो से नफरत करू भी तो किस वजह से ?

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रिपोर्टर.

छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में 30% से ज़्यादा मुल्ले थे, शिवाजी महाराज के 13 बॉडीगार्ड मुल्ले थे।
शिवाजी के तोपखाने का प्रमुख इब्राहिम खान नाम का मुल्ला ही तो था।

शिवाजी का एक ही वकील था जिसका नाम क़ाज़ी है था वो भी मुल्ला था।
शिवाजी के गुरु का नाम सूफी याकूब बाबा था।
शिवाजी के थल सेना प्रमुख का नाम नूर खान था।

अफ़ज़ल खान को मारने के लिए शिवाजी महाराज को वो हथियार बना कर देने वाला सिद्धि हिलाल मुल्ला ही था।
अफ़ज़ल खान के आने की खबर देने वाला रुस्तम ए ज़मान भी मुल्ला ही था।

इतिहास में कही भी नही है कि शिवाजी के सेना के किसी मुल्ला ने शिवाजी को धोखा दिया हो।
शिवाजी ने रायगढ़ में अपने किले से सामने मुस्लिमों के लिए मस्जिद बनाई जो आज भी मौजूद है।

शिवाजी महाराज पर हमला करने वाला कृष्णा भास्कर कुलकर्णी ब्राम्हण था।
ब्राम्हणो ने शिवाजी महाराज के राज्य अभिषेक को नकारा था।
शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी की हत्या कर के उनके शरीर के टुकड़े करने वाले ब्राम्हण ही तो थे।

शास्त्रो के हिसाब से शुद्र का शिक्षा प्राप्त करना अधर्म था अगर कोई शुद्र शिक्षा प्राप्त करले तो उसे मृत्यु दंड दिया जाता था।
ज्योतिबा फुले ने शूद्रों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी उठाई और स्कूल शुरू करने के लिए आगे बढ़े।

ब्राम्हणो ने खूब विरोध किया पर एक मुल्ला जिसका नाम उस्मान शेख था उसने उन्हें स्कूल के लिए जगह दी।
सावित्री बाई फुले जब स्त्री शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेकर निकली उस वक़्त भी ब्राम्हणो ने खूब विरोध किया ।
यहा तक कि सावित्री बाई पर पत्थर और गोबर बरसाए गए ब्राम्हणों द्वारा ।

पर उस वक़्त भी उनके साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली फ़ातेमा शेख महिला भी मुल्ला ही थी।
ब्राम्हणों के विरोध के बावजूद डॉ भीमराव अंबेडकर को संविधान हाल तक पहोचाने वाले भी मुल्ले ही थे।

धर्म के ठेकेदारों अब तुमही बताओ मेरे पूर्वजो के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाले इन मुल्लो से मैं कैसे नफरत करू !

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