म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का किस कदर हो रहा है जनसंहार ! लेकिन अबतक सऊदी अरब खामोश ?
रिपोर्टर.
एक मशहूर अरबी भाषी समाचारपत्र ने अपने मुख्य संपादकीय में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार पर सऊदी अरब की अनदेखी की समीक्षा की है।
समाचारपत्र अलक़ुद्स अलअरबी ने लिखा है कि म्यांमार की सेना और बौद्ध चरमपंथियों ने रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ बच्चों के सिर काटने और उन्हें ज़िंदा जलाने जैसे अपराधों का नया सिलसिला शुरू कर दिया है ?
जिसके चलते कुछ ही सप्ताहों में साठ हज़ार से अधिक रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की ओर भाग गए हैं।
सात सौ लोगों के एक गांव में मौजूद सभी घरों को पूरी तरह जला दिया गया।
पत्र ने लिखा है कि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने खुल कर म्यांमार के अधिकारियों पर मुसलमानों के जातीय सफ़ाए का आरोप लगाया है ।
और तुर्क प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश से वादा किया है कि उनका देश शरणार्थियों का ख़र्चा उठाएगा।
पत्र ने अपने संपादकीय में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार पर सऊदी अरब के रुख़ के बारे में लिखा है कि बहुत से लोगों को प्रभावी धार्मिक पोज़िशन के चलते सऊदी अरब की ओर से पारदर्शी और स्पष्ट प्रतिक्रिया का इंतेज़ार है!
लेकिन सोमवार को राष्ट्र संघ में सऊदी प्रतिनिधि की ओर से अपनाई गई कमज़ोर नीति के अलावा हम इस देश की ओर से सिर्फ़ ख़ामोशी ही देखते हैं ।
जबकि सभी को अपेक्षा थी कि सऊदी अरब रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को रुकवाने और उनकी मदद के लिए इस्लामी देशों को लामबंद करेगा!
अलक़ुद्स अलअरबी ने लिखा है कि सऊदी अरब के इस रुख़ के पीछे का मुख्य कारण वह नया रवैया है जो उसने हाल ही में संयुक्त अरब इमारात की देखा देखी अपनाया है।
इस रवैये के अंतर्गत संसार की बड़ी शक्तियों विशेष कर डोनल्ड ट्रम्प को ख़ुश करने और उन पर यह बात सिद्ध करने के लिए कि उसका आतंकियों से कोई संबंध नहीं है,
सऊदी अरब मुसलमानों से हर प्रकार की हमदर्दी दिखाने से इन्कार कर रहा है !