मुलायम सिंह यादव धूर्त हैं या मूर्ख ये तय करने वाले है कौन ?
रिपोर्टर.
लेकिन ये सच है कि पिछले 27 बरसों में मुलायम ने जो कुछ किया है वो डंके की चोट पर किया है !
उन्होंने अयोध्या के साधुओं पर जब गोलियां चलवाई तो कहकर चल वाई!
उन्होंने इस कार्रवाई के बदले में जब मुसलमानो से वोट मांगे तो अपने सर पर आज़म खान को बैठा कर मांगे
और आज़म खान ने जब भारत माँ को डायन कहा तो मुलायम ने इनाम में आज़म को और भी बढ़िया मंत्रालय दे डाला!
मुलायम ने कुछ छुपाया नही।
उन्होंने हर फैसला डंके की चोट पर किया है. पूरे साहस दुस्साहस के साथ. उन्होंने 65 बरस की उम्र में जब साधना गुप्ता से दूसरी शादी की तो बाकायदा दावत देकर और तस्वीरें खींचवा कर की
उन्होंने जब रक्षा मन्त्रालय पर कब्ज़ा जमाया तो देश के सबसे बड़े दलाल अमर सिंह को बगल मैं बैठाया!
देश की राजनीती में मुलायम पहले मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने एक माफिया सरगना को मंत्री की शपथ दिलाई. वो माफिया डॉन डीपी यादव थे?
उसके बाद अतीक अहमद, राजा भैया और मुख्तार अंसारी जैसे दर्ज़नो हिस्ट्रीशीटर अपराधियों को सत्ता में लाकर मुलायम ने गोविंदबल्लभ पन्त के विधान भवन को कलंकित कर दिया? इतना कलंकित कि सदन में मारपीट होने लगी!
चुनाव के वक़्त सहारा के हेलीकाप्टर में मुलायम खुले आम नोटों की गड्डियां लेकर उड़ते थे और सबके सामने अपने उम्मीदवार को लाखों लाख बाँट देते थे।
1995 में जब पंचायत चुनाव को लेकर कांशीराम से उनका झगड़ा हुआ तो स्टेट गेस्ट हाउस से उन्होंने खुलेआम बसपा के विधायकों को बन्दूक की नोक पर अगुआ करवा लिया।
ये अलग बात है कि स्टेट गेस्ट हाउस के जिस कमरे में मायावती छुपी थी उस कमरे में उनके गुर्गे आग नही लगा सके और सत्ता मुलायम के हाथ से फिसल गयी!
लेकिन 2003 में डंके की चोट पर मुलायम दुबारा सत्ता में लौटे और इस बार उन्होंने निर्लज होकर यूपी को लूटा ।
सच कहे तो उन्होंने पैसों की झड़ी लगा दी, सहारा जैसे चिट फंडिए, पोंटी चड्ढा जैसे शराब तस्कर और जेपी जैसे ठेकेदारों के साथ मिलकर मुलायम ने भ्रष्टाचार को यूपी में इस बार संस्थागत कर दिया !
ये अलग बात है क़ि सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज हुआ।
ऐसा गंभीर मामला जिसके चलते मुलायम की गर्दन सीबीआई की अलमारियों में आज भी गिरवी पड़ी है?
खुला खेल फरुखाबादी खेलने में महारथी मुलायम ने जब 2012 में सबको पीछे छोड़कर अपने बेटे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी तो घर में पत्नी साधना गुप्ता से लेकर भाई शिवपाल के सीने पर सांप लोट गए थे!
लेकिन मुलायम ठहरे फ्रंट फुट के खिलाडी. जो कह दिया सो कर भी दिया
लेकिन आज सरकार के जाते जाते मुलायम ने बेटे से कुर्सी छीन ने का जो दांव चला है वहां वो गच्चा खा गए.
संभवत पहली बार मुलायम अपने घर में ही चरखा दांव लगाकर खुद चित दिख रहे हैं?
दोस्तों मुलायम की इस छोटी सी कहानी में, मैं चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेकर जैसों का जिक्र नहीं करना चाहता जिनकी धोती खींचकर मुलायम ने कभी सत्ता हथियाई थी.लेकिन मुझे ये यकीन हो चला है कि मेरे उत्तर प्रदेश का पिछले तीन दशकों में जो दोहन हुआ…जो चीर हुआ … उसका पात्र आज मेरी आँखों के सामने कई घंटो से घूम रहा है।
और विधि का विधान देखिये की देर से ही सही… पर इस पात्र को सबके सामने आज बेनकाब उसी का पुत्र कर रहा है!
हे ईश्वर तेरी दुनिया कमाल है
सच में
यहाँ देर तो है
पर अंधेर नही?