भारत एक विशाल देश है,पर आज भी कुछ लोग अपने बेटे का नाम जयचंद क्यो नही रखना पसंद करते ?

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रिपोर्टर.

प्राकृतिक संपदा संपन्न कंषि प्रधान भारत एक हजार साल तक इस लिए गुलाम रहा क्योंकि छोटे छोटे राज्य मे बंटे देश के राजाओं मे आपसी वैमनस्य था।

संयोगिता का श्वयंबर, जयचंद ने किया यदि पृथ्वीराज चौहान के साथ संयोगिता चली गई तो क्या गलत हुआ?
लोग आज भी  अपने बेटे का नाम जयचंद नहीं रखते क्योंकि उसने अपनी व्यक्तिगत कुंठा की भेंट पूरे देश को चढा दिया।

आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था अंग्रेज की देन है इस समय सत्ता सुख के लिए जाति व मजहब के गठजोड़ का दौर चल रहा है राजनैतिक गिरोह बनाकर कई घराने अरबपति बन चुके हैं परंतु एक पीढ़ी बीत जाने के बाद भी  गरीबी बेरोजगारी भ्रष्टाचार अपराध आतंकवाद आदि पर पूर्ण विराम लगाने की ईमानदार पहल नहीं हुई !

आरक्षण के नाम पर समाज को बांटने का षड्यन्त्र हुआ अल्पसंख्यक बहुसंख्यक मे समाज को बांटा गया अगड़े पिछड़े के नाम पर समाज को बांटा गया क्योंकि अंग्रेज की रणनीति बांटो एवम राज करो की रही है।
हमारे देश मे संत व ब्राम्हण का सम्मान करने की परंपरा व संस्कृति रही है।

इसी लिए देश की करोड़ो जनता ने 1947 के बाद बैरिस्टर करमचंद मोहनदास गांधी व तथाकथित पंडित जवाहर लाल नेहरु को सिर आंखों पर बिठाया।

लेकिन एक बात बिल्कुल आइने की तरह खुलकर सामने आ चुकी है कि जिस तरह सोनियां गांधी एक काल्पनिक नाम है इटली वाली मेम का असली नाम एंटोनियां एडविग माइनो है उसी प्रकार मोती व जवाहर भी  काल्पनिक नाम था वास्तव मे दोनो अफगानिस्तान के मुसलमान थे तथा सबसे बड़ा झूठ तो यह है कि भीम राव अम्बेडकर दलित थे जी हां वह महाराष्ट्र के असली ब्राम्हण थे।
उनकी पत्नी शबिता अंबेडकर के कुल खानदान से पुष्टि की जा सकती है।

महाराष्ट्र मे मंगेशकर चापेकर, तेंदुलकर, सावरकर अंबेडकर यह सभी  ब्राम्हण होते हैं।
उसी तरह बंगाल मे चटर्जी बनर्जी मुखर्जी आदि भी  ब्राम्हण होते हैं।

जिस तरह राजतंत्र मे राजा का बध करके प्रजा को गुलाम बनाकर लुटेरे राज करते थे उसी तरह भारतीय समाज की आध्यात्मिक मजबूती को छिन्न भिन्न करने के लिए विदेशी ताकतें आज भी  हमारे देश के जयचंदो के कंधे पर बंदूक रख कर हमे ही निशाना बना रहे हैं।

अबतो लोगो को जागरूक हो जाना चाहिए क्योंकि सारे राजनैतिक गिरोह इकट्ठा हो चुके है हिंदुस्तान की गौरवशाली परंपरा को नष्ट कर सत्ता सुख भोगने के लिए हमे सावधानीपूर्वक निर्णय लेना होगा ।

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