बीजेपी के लिए यह इलेक्ट्रोल बॉन्ड का चंदा है,बेहद गंदा है पर गोरख धंधा है

एमडी न्यूज चैनल के विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो द्वारा बीजेपी ,के मुख्य नायक मोदीजी की पोल खोल

यह इलेक्ट्रोल बोंड का चंदा है गंदा है पर धंधा है।

देश का गद्दार और बिकाऊ मीडिया इस बात को जग जाहिर करने में नाकाम और खामोश है, देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ मोदी सरकार का दलाल बना हुआ है!

22000 इलेक्ट्रोल बोंड् के 12000 करोड रुपए इलेक्ट्रोल बोंड् के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को दिए गए!
जिसमें से ₹6500 करोड़ का चंदा भाजपा को दिया गया है। कल रात को चुनाव आयोग ने सारे डेटा वेबसाइट पर डाल दिए हैं और सबसे पहले यह जानकार लोगों का आश्चर्य हुआ है कि 12000 करोड रुपए की राशि 12000 करोड रुपए के न होकर 22000 करोड रुपए से ज्यादा नजर आ रही है। इसका सीधा-सीधा मतलब है चुनाव आयोग को जो जानकारियां दी गई वह संपूर्ण नहीं है?
अभी अंतिम तस्वीर आना बाकी है इसलिए कुछ कहना जल्दबाजी है !

सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले के बाद आखिरकार स्टेट बैंक में आधा डाटा तो चुनाव आयोग को जमा कर दिया और कल चुनाव आयोग के आयुक्त राजीव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश को भरोसा दिलाया है 15 तारीख तक यह सारा डाटा देश के सामने रख दिया गया था !ये सब सुप्रीम कोर्ट के डर से वह डाटा कल रात को रख दिया गया है!
यह सच है यहां स्टेट बैंक का चेरमेन हरामखोरी कर गया है और पूरी तरह से चंदे का यह धंधा लोगों के सामने नहीं आ पाएगा!

बात दे कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जिस दिन यह कॉन्सेप्ट आया था उसी दिन कहा था इलेक्ट्रॉल बोंड् देश का सबसे बड़ा स्कैम साबित होगा!
देश के बुद्धिजीवियों में इसकी चर्चा है और शायद वह इसकी जद तक पहुंचना भी चाहते है, लेकिन आम आदमी के लिए अभी यह सब एक पहेली की तरह है।
देश की गद्दार मीडिया और मोदी का प्रचार तंत्र जो कुछ झूठी बातें अपनी ₹2 वाली गेग के माध्यम से लोगों का दिमाग में भरेंगे शायद परसेप्शन वही बने?
क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कोशिशो के बावजूद पूरी जानकारी का अभाव उनके झूठ तंत्र को खेलने का पूरा मौका देगा!

कुछ सवाल जो देश के जनमानस के सामने आगामी तारीख के बाद विमर्श का विषय बन सकते है!
किस उद्योगपति या पूंजीपति ने कितने इलेक्टरल बॉन्ड खरीदे और वह किस पार्टी को दिए गए और यदि वह शासक दल को दिए गए तो उसके बदले उन्हें क्या-क्या सुविधा या छूट मिली?

विदेशी कंपनियों द्वारा कितने इलेक्ट्रोल बोंड् खरीदे गए और वह विदेशी कंपनियां कौन थी?
जिन विदेशी कंपनियां ने यह बोंड् खरीदे उनसे किस तरह के समझौते मोदी सरकार द्वारा किए गए? खरीद के निवेश के यह भी अवलोकन का विषय होगा!

Ed और सीबीआई ने कहां-कहां छापेमारी की और जिन लोगों के यहां छापेमारी की गई क्या उन लोगों ने भी इलेक्ट्रोल बोंड् खरीदे ?
और वह इलेक्ट्रोल बोंड् किस पार्टी के खाते में गए?
यानी उनके काले धन का कैसे ड्राई क्लीन किया गया किस वाशिंग मशीन में उनके चरित्र कमजोरी को धोया गया?

क्या कुछ भारतीय पूंजीपतियों ने अपनी विदेशी शेल कंपनियों के नाम से यह इलेक्ट्रोल बांड खरीद कर काले धन को सफेद करने की कोशिश की?
देश के पूंजीपतियों एवम विदेश के धन्ना सेठों द्वारा किस तरह भारत की प्रभुसत्ता को प्रभावित किया गया?
भ्रष्टाचार का यह अघोषित पाथवे भारत के जनमानस को झकझोर सकता है।

मोदी सरकार के डरने की वजह यही है कि राहुल गांधी यह आरोप अक्सर लगाते हैं यह मोदी सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और इस चंदे के धंधे के सामने आने के बाद यह साबित हो जाएगा यह मोदी सरकार पूंजीपतियों के यहां गिरवी रखी हुई है।
देखने वाली बात तो यह भी होगी कि जो लोग देश छोड़कर भागे हैं और जिन्हों ने बैंकों को भारी चपत लगाइ है उनमें से कितने लोगों ने इलेक्टरल बोंड् खरीदे और भाजपा के लिए खरीदें?

अभी जो सूचना स्टेट बैंक द्वारा दी जाएगी उसमें सिर्फ यह मालूम पड़ेगा बोंड् किसने खरीदा और कितनी मात्रा में किस पार्टी को बोंड का भुगतान किया गया यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा जो बोंड खरीदा था ,
वह किस पार्टी विशेष को दिया गया है इसकी जानकारी नहीं होगी।
मतलब किसने बोंड् खरीदा था यह तो मालूम पड़ जाएगा पर वह बोंड किस पार्टी को मिला है या किस पार्टी ने रिडीम किया है यह नहीं पता पड़ेगा।
यह भी पता चल जाएगा किस किस पार्टी ने कितने बोंड् प्राप्त किए हैं और उनको एन केश करवाया है।
पर वह पार्टिकुलर किसके थे यह पता नहीं चलेगा!

बोंड् का जो यूनिक कोड है उससे यह तो स्पष्ट है कि बैंक के पास सारे डेटा मौजूद होंगे लेकिन मोदी सरकार के इशारे पर उनको छुपाने की कोशिश आखिर इसके पीछे की कुछ कहानी तो होगी ही ना?
आने वाले समय में शायद यह नॉरेटिव बनाने का प्रयास किया जाए जब यह कहा जाए कि फलाने पूंजीपति ने भाजपा पार्टी को इतना चंदा दिया है तो फिर तुरंत प्रति आरोप लगाया जाएगा उस उद्योगपति ने कॉंग्रेस को भी तो इतना चंदा दिया है कॉंग्रेस जब उसके खिलाफ है तो नैतिक रूप से यह चंदा वह प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराये।

नैतिकता के सारे मापदंडों को धता देने वाली मोदी – तड़ीपार की भाजपा विद द डिफरेस का नारा देने वाली काले धन के नाम पर सरकार में आने वाली सरकार में ही काले धन का यह खेल चंदे का धंधा जमीन पर कितना प्रभावित कर पाएगा यह देखने का विषय होगा!
पर भ्रष्टाचार और काले धन के नाम पर आने वाली मोदी सरकार चंदे के धंधे के इस खेल के बाद नंगी तो नजर आई!

अभी पूरा पर्दा उठना बाकी है पर जिस तरह मोदी सरकार बैक फुट पर है उससे यह तो लग रहा है दाल में कुछ काला है!
और मोदी सरकार की कठपुतली के रूप में ऐसी चर्चा है। चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की है जिसमें उन्होंने मांग की है इससे ज्यादा डाटा और पब्लिक डोमेन मे
नहीं रखा जाए। एसबीआई की ओर से कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए। हर बॉन्ड के पीछे एक घोटाला है। कुछ नजीर देखिए-

केस नंबर 1

2 अप्रैल 2022 : फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज की 409 करोड़ की संपत्ति ED ने अटैच की।
7 अप्रैल 2022 : कंपनी ने 100 करोड़ का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर चंदा दिया। किसको दिया होगा? रेड फिर क्यों नहीं पड़ी?

केस नंबर 2

अप्रैल 2023 : मेघा इंजीनियरिंग ने करोड़ों का चंदा दिया।
मई 2023 : मेघा इंजीनियरिंग को 14,400 करोड़ का प्रोजेक्ट मिल गया।
इन्हें चंदा मिला, उन्हें धंधा मिला।

केस नंबर 3

18 अगस्त 2022 : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मालिक पूनावाला ने एक ही दिन में 52 करोड़ का चंदा दिया।
22 अगस्त 2022 : मोदी ने उनसे मुलाकात की। फिर क्या तमाशा हुआ, देश जानता है। कोविड वैक्सीन पर सीरम इंस्टीट्यूट को मोनोपोली बख्शी गई।

केस नंबर 4

खनन समूह वेदांता ने 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड दान किए।
फिर सरकारी कंपनी BPCL वेदांता को सौंप दी गई।
सरगना को मिला चंदा, पंटर को मिला धंधा

केस नंबर 5

नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने 90 करोड़ के बॉन्ड खरीदे।
यही कंपनी उत्तराखंड में सुरंग बना रही थी। 41 मजदूर 17 दिनों के लिए फंस गए।
मामले की जांच तक नहीं हुई।

केस नंबर 6

गाजियाबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल पर कोविड के दौरान जनता से वसूली के आरोप लगे। यशोदा पर छापा पड़ा।
यशोदा हॉस्पिटल ने 162 करोड़ बॉन्ड खरीदे और दान करके वॉशिंग मशीन में धुल गया।

केस नंबर 7

टोरेंट पॉवर नाम की कंपनी ने 86.5 करोड़ का चंदा दिया।
कंपनी को गुजरात में 47000 करोड़ का सरकारी प्रोजेक्ट मिल गया।
ठेके कौन देता है?​ फिर चंदा किसको मिला?
चंदा दो, धंधा लो।

केस नंबर 8

IRB Infrastructure नाम की कंपनी ने जुलाई 2023 में करोड़ों का चंदा दिया।
कंपनी को अगले कुछ महीनों में लगभग 6000 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला।

केस नंबर 9

भाजपा सरकार ने मित्तल ग्रुप को गुजरात में सबसे बड़ा धंधा दिया।
मित्तल ग्रुप ने इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा को चांप कर चंदा दिया।

केस नंबर 10

पुलवामा हमले के बाद Hub Power Company नाम की पाकिस्तानी कंपनी ने भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड क्यों खरीदा और किसे चंदा दिया, इसकी जांच नहीं होगी। जैसे पुलवामा हमले की जांच कभी नहीं हुई।

केस नंबर 11

दिसंबर, 2023 : शिरडी साई इलेक्ट्रिकल लि​मिटेड पर छापा पड़ा।

जनवरी 2023 : शिरडी साई ने छप्पर फाड़कर चंदा दिया।

ElectoralBondsCase
ElectoralBondScam

साभार,;पिनाकी मोरे

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