देश की सरवोत्तम न्यायपालिका के कुछ जजो पर रिश्वतखोरी के तोहमत लगाना उचित है ?

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रिपोर्टर.

देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लग सकते है तो निचली अदालतों के जजो से क्या अपेक्षा रख सकते हैं ?

सुप्रीम कोर्ट में 10 तारीख़ को जो हुआ वो सबको पता होना चाहिए।
ये उनके लिख लिख रहा हूं, जिन्हें पता नहीं है।
2015 में प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट ने केंद्र सरकार के पास एक नया मेडिकल कॉलेज खोलने की अर्ज़ी दी।
सरकार ने मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया को अर्जी थमा दी काउंसिल ने मना कर दिया!

मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट की ओवरसाइट कमेटी ने काउंसिल से अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा केंद्र सरकार ने इस आधार पर मंजूरी दे दी!

इस साल मई में काउंसिल ने कॉलेज का जायज़ा लिया और देखा कि कॉलेज सुनसान है और अस्पताल में ताले बंद हैं!
काउंसिल ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट दी सरकार ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी!

केंद्र सरकार ने काउंसिल से कहा कि वो कॉलेज की तरफ़ से जमा बैंक गारंटी को इनकैश कर सकता है।
ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से अपील की दीपक मिश्रा अमिताभ रॉय और एएम ख़ानविलकर की खंडपीठ ने केंद्र को फिर से विचार करने को कहा।
पीठ ने कहा कि ट्रस्ट के साथ अन्याय हुआ है।
प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के एक ट्रस्टी बी पी यादव ने ओडीशा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज I M क़ुद्दुसी से संपर्क साधा क़ुद्दुसी को सेट किया।

क़ुद्दुसी के कहने पर सुप्रीम कोर्ट से मामला वापस लिया और इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की।
25 अगस्त को हाई कोर्ट ने बैंक गारंटी भुनाने पर रोक लगा दी और आदेश सुनाया कि मेडिकल कॉलेज में दाख़िले होंगे।

चार दिन बाद मेडिकल काउंसिल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
दीपक मिश्रा कीअगुवाई वाली पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

18 सितंबर को मामला सेटल करने के लिए ट्रस्ट फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
फैसला फिर से ट्रस्ट को पक्ष में गया फिर से दीपक मिश्रा इसकी अगुवाई कर रहे थे।

अगले दिन CBI ने इस मामले में FIR दर्ज की 5 लोग गिरफ़्तार हुए।
न्यायपालिका में इसी भ्रष्टाचार को लेकर प्रशांत भूषण केस लड़ रहे थे।

आनन-फानन में चेलमेश्वर की पीठ ख़त्म कर दीपक मिश्रा ने अपनी पीठ में इसकी सुनवाई शुरू कर दी।
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि पूरे मामले में आप भी पार्टी हैं दीपक मिश्रा ने कहा कि अदालत की।

अवमानना का केस लागू कर दूंगा प्रशांत भूषण ने कहा- लगाओ दीपक मिश्रा ने नहीं लगाया।
कोर्ट में जिन वकीलों का केस से कोई लेना-देना नहीं था।
उनकी भी सुनी गई लेकिन केस लड़ने वाले प्रशांत भूषण को इग्नोर किया गया इसी के बाद प्रशांत कोर्ट छोड़कर बाहर निकल गए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पहली बार आरोप नहीं लगा है।

इस आदमी का नाम अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कालिखो पुल ने भी अपने सुसाइड नोट में लिखा था।
इसके बाद भी दीपक मिश्रा को आउट ऑफ़ द वे जाकर मुख्य न्यायाधीश चुना गया !

न्यायपालिका पर भ्रष्टाचार का मामला संगीन है अगर दीपक मिश्रा ईमानदार हैं तो क़ायदे से उन्हें इस सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए था हम जैसी आम जनता के दिमाग़ में शक हो रहा है !

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