देखते ही देखते कैसे भीषण आग की लपेटो में जलकर राख हुआ मशहूर RK स्टूडियो ? एक सपने एक अधूरी कहानी का अंत !
रिपोर्टर.
मुंबई का सबसे पुराना और सबसे मशहूर प्रोडक्शन हाउस आर.के स्टूडियो कल भीषण आग लगने से लगभग तबाह हो गया।
यह स्टूडियो एक प्रोडक्शन हाउस का ही नहीं, हिंदी सिनेमा के उस सपने का नाम था।
जिसे पिछली सदी के चौथे दशक में स्वप्नदर्शी अभिनेता, निर्माता और निर्देशक स्व.राज कपूर और उनकी टीम के साथियों – नर्गिस, ख्वाजा अहमद अब्बास, शैलेन्द्र, हसरत जयपुरी, शंकर जयकिशन और राधू करमाकर ने मिलकर देखा था!
अपनी निर्माण संस्था आर.के फिल्म्स की स्थापना के साथ 1948 में राज कपूर ने मुंबई के चैंबूर में इस स्टूडियो की स्थापना की थी।
‘आग’ इस स्टूडियो में बनने वाली पहली फिल्म थी।और तारीख 16/9/2017 दोपहर 2 बजे लगी भीषण आग ने ये साबित कर दिखाया कि उस आग फिल्म ने इसी स्टूडियो में फिरसे इस तरह से जन्म लिया है जिस से स्टूडियो के साथ सभी सपनें तबाह ओ बर्बाद हो गए!
उसके बाद यह हिंदी की कुछ कालजयी फिल्मों – बरसात, आवारा, बूट पॉलिश,अब दिल्ली दूर नहीं, जागते रहो, श्री 420, जिस देश में गंगा बहती है, संगम, मेरा नाम जोकर, सत्यम शिवम् सुन्दरम, बॉबी,प्रेम रोग, और राम तेरी गंगा मैली के निर्माण का गवाह बना।
इस स्टूडियो की देखरेख फिलहाल ऋषि कपूर के ज़िम्मे था।
भविष्य में भले ही इस स्टूडियो का नए सिरे से निर्माण करा लिया जाय,लेकिन अब न उसमें राज कपूर की आत्मा होगी और न वे बेशुमार ख्व़ाब जो राज जी और उनके साथी फिल्मकारों की एक पूरी पीढ़ी ने देखा था!
अलविदा आर.के स्टूडियो !