जनजन ,जाने सबकुछ जाने ,पर मोदीजी के भेद न जाने कोई,,! मोदी जी आपका तो रोम-रोम कारपोरेट के यहां गिरवी है?
रिपोर्टर,
आगरा की रैली में पीएम मोदी ने कहा कि वो बिकाऊ नहीं हैं। यह बात उतनी ही असत्य है जितना यह कहना कि सूरज पश्चिम से निकलता है!
-जो व्यक्ति बाजार की पैदाइश है और जिसकी कारपोरेट ने खुलेआम बोली लगाई हो उसके मुंह से यह बात अच्छी नहीं लगती है!
शायद मोदी जी आप उस वाकये को भूल गए जब कारपोरेट घरानों के नुमाइंदों का लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद में जमावड़ा हुआ था।
इसमें अंबानी से लेकर टाटा और बजाज से लेकर अडानी तक सारे लोग मौजूद थे। पूंजीपतियों के इस मेले में आप अकेले घोड़े थे?
जिसके बारे में इन धनकुबेरों को विचार करना था। फिर वहीं पर आप के ऊपर दांव लगाने का फैसला हुआ था!
उसके बाद से कारपोरेट ने अपनी पूरी तिजोरियां खोल दीं,, निजी टीवी चैनलों से लेकर अखबारों और सोशल मीडिया से लेकर अपने निजी तंत्र को आपके हवाले कर दिया!
लोकसभा चुनाव के दौरान पांच से लेकर सात चार्टर्ड विमान आपकी सेवा में लगा दिए गए। हेलीकाप्टरों की तो कोई गिनती ही नहीं थी। एक विदेशी एजेंसी के अनुमान के मुताबिक 24 हजार करोड़ रुपये आपने पानी की तरह बहाया। क्या ये पैसा बीजेपी के पास जमा था। या फिर संघ ने उसे मुहैया कराया था। या आपके घर-परिवार वालों ने दिया था?
जनता के चंदे से तो पार्टी कार्यकर्ताओं का खाना भी नहीं चल पाता। ऐसे में यह मत कहिएगा कि जनता के बल पर चुनाव लड़े!
दरअसल कारपोरेट घरानों ने आपको गोद ले लिया था, क्योंकि उसे लग गया था कि यही वो शख्स है जो उसके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगा?
अनायास नहीं अपनी पुरानी चहेती पार्टी कांग्रेस की नाव को छोड़कर यह हिस्सा रातों रात आपकी गाड़ी में सवार हो गया। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस उनका कोई अनभल कर रही थी।
सच यह है कि इस देश को वैश्वीकरण के रास्ते से जोड़ने वाला शख्स ही उसका प्रधानमंत्री था।
लिहाजा उस पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं था। लेकिन कारपोरेट जितनी तेजी से देश के संसाधनों को लूटना चाहता था। या उस पर काबिज होना चाहता था। कांग्रेस उसके लिए तैयार नहीं थी। क्योंकि उसने मानवीय चेहरे के साथ उदारीकरण के रास्ते पर बढ़ने का फैसला लिया था?
जिसके चलते उसे तमाम कल्याणकारी योजनाओं को भी चलाना पड़ रहा था, कारपोरेट जिसके धुर खिलाफ था क्योंकि बाजार में उसके फलने फूलने की राह में यही सबसे बड़ी बाधा थी!
इसलिए कारपोरेट ने सामूहिक तौर पर आपके साथ जाने का फैसला लिया। क्योंकि उसे पता था कि आप देश के संसाधनों से लेकर पूरे बाजार को उसके हवाले कर देंगे?
नीतियां कारपोरेट की होंगी, और लागू सरकार करेगी।
अनायास नहीं सभी सरकारी संस्थाओं को पंगु बना दिया गया है। बारी-बारी से कल्याणकारी योजनाओं को वापस लिया जा रहा है!
इसलिए मोदी जी बिकाऊ की बात तो दूर आपका तो रोम रोम कारपोरेट के यहां गिरवी है ! और अब आप बारी बारी से उसी कर्जे को उतार रहे हैं।
अदानी को पूरे कच्छ जिले की जमीन 1 रुपये प्रति एकड़ की लीज पर देना उसी का हिस्सा है। देश का पूरा सोलर प्रोजेक्ट अडानी के हाथ में है !
कोई हफ्ता शायद ही बीतता हो जब बाबा रामदेव के लिए किसी तोहफे की घोषणा न होती हो। अंबानी का तो पहले साउथ ब्लाक तक ही रिश्ता था। वह भी दलालों के जरिये।
लेकिन अब उनकी सीधे पीएमओ में दखल हो गई है। नोटबंदी का फैसला इसी कारपोरेट को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है?
आप ने आगरा की रैली में खुश होकर कहा कि 5 लाख करोड़ रुपये आ गए हैं। और अब जनता और जरूरतमंद को लोन दिया जाएगा। लेकिन सच यही है कि उससे जनता नहीं बल्कि कारपोरेट की झोली भरी जाएगी।
और जनता के बीच से जो लोग लोन लेंगे वो भविष्य में आत्महत्या करेंगे। लेकिन कारपोरेट का लोन माफ कर दिया जाएगा?
आपने कालाधन धारियों को गिरफ्तार कर सजा देने की बात कही है, कुछ जगहों पर छापे की खबरें भी आ रही हैं, ये कितनी अफवाह हैं और कितनी नौटंकी?
इसका कुछ समय बाद ही पता चलेगा! लेकिन सच यही है कि निशाने पर अभी भी छोटी मछलियां ही हैं!
अगर आप इस पूरी कवायद को लेकर गंभीर होते तो अडानी के तकरीबन 5400 करोड़ रुपये के बाहर भेजे जाने वाले मामले में एसआईटी की जांच में बांधा नहीं डालते।
लेकिन सच यही है कि आपको बड़े कारपोरेट घरानों के काले धन से कुछ भी लेना देना नही है। और न ही विदेशों में जमा धन आपकी चिंता का विषय है। आप का तो मुख्य मकसद जनता के पैसे को बैंकों में लेकर उसे कारपोरेट के हवाले करना है !
मोदी जी जुमलों की एक सीमा होती है यह भ्रम भी बहुत दिनों तक नहीं रहने वाला। क्योंकि इसका असर सीधे जनता पर पड़ेगा?
जनता को जुमला और कारपोरेट को थैली का पर्दाफाश होकर रहेगा?वैसे भी झूठ की उम्र बहुत छोटी होती है ?