क्या वकीलों की फीस का मामला जनहित में एक और नज़ीर बनेगा?

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रिपोर्टर.

केजरीवाल ने अरुण जेटली की मानहानि की तो जेटली ने क्या  किया?

न्याय के प्रावधानों अनुसार केजरीवाल के ऊपर मुक़द्दमा कर दिया । अब केजरीवाल की तरफ से वकील राम जेठमलानी न्यायलय में पैरवी कर रहे हैं । और जेठमलानी ने दिल्ली सरकार को अपना बिल भेज दिया  है।

केजरीवाल सरकार ने बिल भुगतान हेतु प्रकरण उपराज्यपाल को भेज दिया।

अब उपराज्यपाल को यदि भुगतान नियमानुसार लगेगा तो भुगतान कर दिया जाएगा  अन्यथा नहीं।

ठीक वैसे ही जैसे उपराज्यपाल ने लोकपाल बिल या विधायकों के वेतन संबंधित बिल में अपने अधिकारों और विवेक या अविवेक से निर्णय किया है।

तो अब बताएँ कि  इस मुद्दे पर इतनी हायतौबा क्यों ??  जनता के पैसे के दुरूपयोग पर छातियों की दे कुटाई पे कुटाई क्यों ??

क्या उपराज्यपाल ये बिल जनता के पैसे से पास कर देंगे ? क्या केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्पाल इतने बेवकूफ या बेकार हैं ?

या फिर एमसीडी चुनाव पूर्व ये मुद्दा उछाल कर अपने-अपने हित साधने हैं ?. या फिर क्या डर इसलिए है कि पूर्व में  भी ऐसा ही होता आया है।

जी हाँ ! ऐसा तो होता ही आया है , अक्सर जनता के खजाने से सरकारी वकीलों को करोड़ों के               भुगतान का ये पहला मामला तो है नहीं है क्योंकि ये मामला केजरीवाल के इर्द गिर्द चल रहा है तो मान के चलिएगा ।

ये जनहित में अभी बहुत कुछ उगलेगा  बहुत लोगों और टुच्चों को सालेगा भी !  फिर से एक नज़ीर बनेगा , निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगा?

इसलिए भक्तो देशहित में उछल कूद जारी रखें और दिल्ली के उपराज्पाल को मजबूर करें कि जनता के धन की बर्बादी की ज़ुर्रत नहीं करें !

आगे क्या होगा इसके लिए सीमित अक्ल की फ़िज़ूलख़र्ची ना करें तो ही बेहतर अन्यथा फ़ोकट टेंशन ?

 

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