अली इज्जत बेगोविच एक ऐसे शख्सियत का नाम है जिसने यूरोप के तख्त को हिला दिया था,और खास रोचक जानकारी पाने के लिए सिर्फ यहां टच करे

अली इज़्ज़त बेग़ोविच

वो शख़्स जिसने यूरोप के तख़्त को हिलाया..

डाक्टर अली इज़्ज़त बेगोविच दूसरे क़ायदीन की तरह कोई आम सदर नहीं थे, वो एक होशियार सियासतदान, एक सब्र आज़मा जंगजू, गहरे मुफ़क्किर और इस्लामी नुक्ता नज़रिए के हामिल थे।
बोस्निया के सदर अली इज़्ज़त बेगोविच 1925 ई० में बोस्निया के शहर बोस्ना क्रूपा में एक अच्छे इस्लामी घराने में पैदा हुए।

अली इज़्ज़त बेगोविच ने बोस्निया की सदारत एक इंतहाई मुश्किल वक़्त में सँभाली,
जब बोस्निया सर्ब भेड़ियों की बरबरियत का शिकार था, उन्होंने अपने लोगों, अपनी क़ौम की आज़ादी और वक़ार के लिए लंबे अरसे तक जद्दोजहद की।
डाक्टर अली इज़्ज़त बेगोविच इस्लामी दुनिया में ये ओहदा सँभालने वाले दूसरे कायदीन की तरह कोई आम क़ायद नही थे, बल्कि वो एक शानदार सियासतदान, एक गहरे मुफ़क्किर जिन्होंने बलकान के मुसलमानों को इस्लामी नुक़्ता नज़र से आशनास कराया।

बलकान की सरहदों से निकल कर उन्होंने इस्लामी दुनिया के तमाम हिस्सो में लोगों के साथ मिलकर काम किया, ताकि मुसलमानों के हुकूक का तहफ़्फ़ुज़ात किया जा सके और उन बीमारियों से मुसलमानों को निजात दिलायी जा सके जो कि मग़रिब और मशरिक ने उनके अंदर पैदा की थीं।
वो जदीद सफ़ाक़त और क़ानून उलूम में तालीम याफता थे। उन्होंने असरी, मगरिबी और इस्लामी फ़िक्री किताबों का गहराई से मुताला किया और फिर उन्हीं उलूम को इक्साम किया(बाँटा)। इसलिए वो एक गहरे मुफ़क्किर थे।

फिर भी उन्होंने ख़ुद को लिखने के लिए वक़्फ़ नहीं किया, क्योंकि दुनिया और खुसूसी तौर पर बलकान के मुसलमान के जो ख़दशात थे, जिन आज़माइशो और फितनों से वो गुज़र रहे थे और उन पर आने वाले सख़्त आफ़त से वो बख़ूबी वाक़िफ़ थे। वो कई छोर पर जद्दोजहद कर रहे थे, इस के बावजूद उन्होंने कई किताबें लिखीं, बहुत से तहकीकी रिसर्च पेपर लिखे, सियासी और वकालत के शोबो में बहुत से लेक्चर दिए।

कम्यूनिस्टों ने डाक्टर अली इज़्ज़त बेगोविच को उनकी सियासी सरगर्मियों की वजह से 1949 में गिरफ़्तार कर लिया और पाँच साल कैद की सज़ा सुनाई, इसी दौरान उन्होंने ज़ैल में My escape to freedom नामी किताब लिखी। उनके इस्लामी बयान का मजमुआ बोस्निया के उलमा ने एक रिसाले(मैगज़ीन) में शाया करवाया जिसे तकफ़ीन कहते थे, जिसे पचास हजार मुसलमानों ने पढ़ा था।

उन्होंने एक अज़ीम किताब लिखी जिस का नाम Islam between east and west था, ये किताब एक Encyclopedia की तरह थी जिस ने मग़रिबी की दुनिया के तमाम सुतूनो को हिलाकर रख दिया।
डाक्टर अली इज़्ज़त बेगोविच ने बहुत से एज़ाज़ हासिल किए जिसमें 1993 में उन्हें इस्लाम की ख़िदमत करने के लिए किंग
फ़ैसल इंटरनेशनल अवार्ड दिया गया,

1996 में अली और उस्मान फ़ाउंडेशन की जानिब से इंटलेकचुअल औफ़ दा यर का अवार्ड दिया गया,
तुर्की में इस्लाम की ख़िदमत के लिए जलालुद्दीन रूमी इंटरनेशनल अवार्ड दिया गया।
अली इज़्ज़त बेगोविच 19 अक्तूबर 2003 में बरोज़ इतवार 78 साल की उम्र में अपने रब से जा मिले। रेडियो बोस्निया ने उनकी मौत का ऐलान किया, सर्ब नुमाइंदों के एतराज़ की वजह से बोस्निया के मुसलमान उनके सरकारी सौग का एलान भी नहीं करवा पाए चूँकि सर्ब सदर अली इज़्ज़त बेगोविच को अपना दुश्मन समझते थे जो की उनके लालच के सामने हमेशा खड़ा रहता था।

संवाद; मो अफजल इलाहाबाद

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