अब तो मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बज गया डंका: भाजपा के लिए क्यों बना एससी एसटी एक्ट गले की फांस ? जानिए !

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भोपाल। प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट फिलहाल भाजपा के लिए गले की फांस बन गया है।

क्योंकि प्रदेश में सवर्ण एवं पिछड़े सीधे तौर पर 148 सीटों को प्रभावित करते हैं।

भाजपा एट्रोसिटी का विरोध करने वालों को हर हाल में मनाने की कोशिश में जुट गई है,  बड़े नेताओं को भी मैदान में उतार दिया गया है, कई सवर्ण नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई हैI
भाजपा सपाक्स समाज का न समर्थन कर पा रही है और न ही विरोध।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बदली रणनीति के तहत चल रहे हैं, पिछले दिनों उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिना जांच के एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामले दर्ज नहीं किए जाएंगे।
इस बयान के भी कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

इसके बाद बीजेपी ने उम्मीद लगाईं थी कि सवर्णों की नाराजगी कम होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआlअब इन 148 सीटों पर ख़तरा भांपते हुए बीजेपी नई रणनीति में जुट गई और सामान्य वर्ग से आने वाले नेताओं को गुस्सा शांत करने के लिए कहा गया हैl
साथ ही अजा-अजजा वर्ग पार्टी के हाथ से न निकल जाए इसके लिए संघ मैदान में उतर गया है।

हालांकि अगर चुनाव तक सवर्णों की नाराजगी को शांत नहीं किया गया तो बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है,
इसका फायदा अन्य पार्टियों को होगा, क्यों कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां सरकार के विरोध को चुनाव में भुनाने की कोशिश में हैI

प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं की चिंता सवर्णों के सीधे प्रभाव वाली 148 सीटों को लेकर है।
विधानसभा की कुल 230 सीटों में सामान्य वर्ग की 148 सीटें हैं वहीं आरक्षित वर्ग की कुल 82 सीटें हैं।
अगर 2013 के विधानसभा चुनाव नतीजों की बात करें तो भाजपा ने सामान्य वर्ग की 148 सीटों में से 102 सीटों पर कब्जा जमाया था, जो राज्य में सामान्य बहुमत के आंकड़े से मात्र 14 सीटें दूर था।
भाजपा तय रणनीति के तहत अब एट्रोसिटी एक्ट का विरोध करने वालों को मनाने का काम करेगी।

विधानसभा की इन सीटों पर सवर्ण और ओबीसी का दखल श्योपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अटेर, भिण्ड, लहार, मेहगाँव, ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर ईस्ट, ग्वालियर साउथ, भितरवार, सेवढ़ा, दतिया, पोहरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, चाचौड़ा, राघौगढ़, चंदेरी, मुंगावली, खुरई, सुरखी, देवरी, रहली, सागर, बण्डा, टीकमगढ, पृथ्वीपुर, निवाड़ी, खरगापुर, महाराजपुर, राजनगर, छतरपुर, बीजावर, मलहेरा, पथरिया, दमोह, जबेरा, पवई, गुन्नौर, पन्ना, चित्रकूट, सतना, नागौद, मैहर, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, सिरमौर, सेमरिया, त्यौंथर, मउगंज, देवतालाब, रीवा, गुढ़, चुरहट , सीधी, सिंहावल, सिंगरौली,
कौतमा, विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद, पाटन, बरगी, जबलपुर नार्थ, जबलपुर केन्ट, जबलपुर वेस्ट, पनागर, लांजी, परसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, कटंगी,
सिवनी, केवलारी, नरसिंहपुर, तेन्दूखेड़ा, गाडरवाड़ा, चौरई, सौंसर, छिन्दवाड़ा, मुलताई, बैतूल, हरदा, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर, उदयपुरा, भोजपुर, सिलवानी, विदिशा, बासौदा, सिरोंज, शमशाबाद, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविन्दपुरा, हुजूर, बुधनी, इछावर, सीहोर, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, शाजापुर, शुजालपुर, कालापीपल, देवास, हाटपिपल्या, खातेगाँव, मंधाता, बुरहानपुर, बड़वाह, कसरावद, खरगोन, धार, बदनावर, देपालपुर, इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, अम्बेडकर नगर महू, राउ, नागदा-खाचरौद, महिदपुर, उज्जैन नार्थ, उज्जैन साउथ, बडऩगर, रतलाम सिटी, जावरा, मंदसौर, सुवासरा, गरोठ, मनासा, नीमच, जावद।

क्या है राजनीतिक समीकरण ?

विधानसभा सीटें 230, सामान्य वर्ग की सीटें 148, आरक्षित वर्ग की सीटें 82
सामान्य वर्ग की सीटें भाजपा 106, कांग्रेस 39
आरक्षित वर्ग की सीटें भाजपा 60, कांग्रेस 18.

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