अबतक के हुए पांच चरणों के चुनाव में जो भी सीटें आएगी जिसमे 100 से ज्यादा सीटों पर हेराफेरी करवा चुका है चुनाव आयोग ,इसकी क्या वजह है?
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
पांच चरणों के चुनाव होने के बाद
हालात कुछ ऐसे पैदा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।अब जो भी सीटें आएंगी हेराफेरी से आएगी, बड़े आंदोलन के लिए तैयार हो जनता
क्योंकि चुनाव आयोग की मिलीभगत और कृपा से आएगी तमाम सीटें, जबकि मूल ताकत से 40 सीटें भी नहीं आने वाली हैं।
क्या 100 से अधिक सीटों पर हेराफेरी करवा चुका है आयोग ?
एक करोड़ से अधिक फर्जी वोट भी चुनाव आयोग डलवा चुका है।नंगा होकर मदद कर रहा है चुनाव आयोग।
व्यापक हेरा फेरी के बाद भी रहस्यमय ढंग से क्यों चुप है कांग्रेस का महात्मा?
इस चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका बेहद बेईमानी पूर्ण तथा आपत्तिजनक साबित होती जा रही है । आयोग खुलकर बेशर्मी से नंगे होकर सरकार की मदद में उतरा हुआ है , जो काफी गंभीर चिंता पैदा करने वाला मामला है।
गौर तलब कीजिए कि जिस प्रकार हर चरण के मतदान के बाद असली मतदान प्रतिशत को छह प्रतिशत से अधिक बढ़ाने, तथा मूल मतदाताओं की संख्या छुपाने में आयोग की रहस्य मय भूमिका सामने आ रही है। वह बेहद दुखद तथा आपत्तिजनक है।
प्रधानमंत्री जी और उनकी पार्टी के नेताओं ने आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाई उस पर चुनाव आयोग की चुप्पी चिंता का कारण है। अगर चुनाव आयोग निष्पक्ष दिखाई
नहीं देगा तो उसके तत्वाधान में होने वाले चुनाव पर लोगों का भरोसा कैसे हो सकता है ?
आयोग ने निष्पक्ष चुनाव की तमाम परंपराओं को तोड़ा है।. जिस दिन मतदान होता है उसका प्रारंभिक आँकड़ा उस दिन चुनाव समाप्ति के बाद जारी कर देता है। उसके अगले दिन आयोग अपना अंतिम आंकड़ा जारी करता है।
लेकिन इस बार पहले चरण का वोट डाले जाने के ग्यारह दिन बाद अंतिम आँकड़ा जारी किया गया।.
आयोग ने दूसरे चरण का चार दिन बाद जारी किया। 13 मई को हुए चौथे चरण का भी चार दिन बाद जारी किया।
हर चरण के मतदान का प्रारंभिक आँकड़े और अंतिम आँकड़े में अच्छा ख़ासा काफी बड़ा अंतर हो रहा है।
चार चरणों के चुनाव के प्रारंभिक आँकड़े और अंतिम आँकड़ा के बीच कुल फ़रक 1.07 करोड़ वोटों का बताया जा रहा है।
यह गंभीर चिंता का विषय है।. हालाँकि सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है।
लेकिन कुल मिलाकर आयोग बेईमानी पूर्ण हरकतों के कारण गंभीर संदेह के घेरे में आ चुका है।.
पिछले दस वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं का जैसा दुरूपयोग किया गया है इससे इनकी विश्वसनीयता ही संकट में है।
जानकार लोगों का मानना है और आयोग के सूत्रों का भी कहना है कि मोदी सरकार को पुनः सत्ता में लाने के लिए सौ से अधिक सीटों पर धांधली हो चुकी है। इसके अलावा कमजोर तथा हारने वाली सीटों पर भी जीतने के लिए सभी मशीनरी को लगाया जा रहा हैं।
बेईमान प्रशासन, भ्रष्ट नौकरशाह पूरी तरह मदद कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट का भी बड़ा हिस्सा मदद कर रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए जनता को अभी से तैयार हो जाना होगा।विपक्षी दलों को बड़े आंदोलन के लिए भी खुद को तथा जनता को तैयार कर लेना होगा।
संवाद;
शिवानन्द, रामानंद,पिनाकी मोरे