हैदराबाद के दरिंदे, चारो रेपिस्ट का अचानक एनकाउंटर मामले में क्यो उठने लगे है सवाल ?

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रिपोर्टर:-

कहानी ख़त्म हुई दरिंदों कि,  कीलोग खुशी में तालियाँ बजाते रहे। नए भारत की नई तस्वीर न अपील ,न वकील। न दलील भारी पड़ रही है ,खाकी काले कोट पर ।

हैदराबाद के साइबराबाद की घटना ने एक बार फिर से तहलका मचा दिया जो सुर्खियों में है।
जो सजा दरिंदों को मिली है यह सजा बलात्कार के लिये नहीं।
बल्कि उनको सजा मिली है पुलिस के हिरासत से भागने के लिए?
हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर केस में चारों आरोपियों के साथ हुए एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे हैं !
सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की ।
उन्होंने कहा कि पुलिस पर मुकदमा दर्ज किया जाए और पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जानी
चाहिए ।

आज यह बात साबित हो गई जनता की आवाज में बहुत ताकत होती है ।
पूरा भारत दिशा के मामले में एक सुर में आवाज उठा रहा था कि दिशा के दरिंदों को जल्द से जल्द सजा दी जाए,
सजा तो मिली पर तरीका गलत था ।
ऐसा लगता है कि हैदराबाद पुलिस बॉलीवुड की फिल्में ज़्यादा देखती है !
इसलिए पुलिस अधिकारी सिंघम का रोल अदा करते हैं !
कहानी बॉलीवुड की। फिल्म अंधा कानून की तर्ज पर बलात्कारियों को सजा दी गई है ।
अंधा कानून फिल्म में रजनीकांत अपनी बहन के बलात्कार का बदला लेता है ,और अदालत उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती !

अदालतों से विश्वास उठ रहा है ,आम जनता का ।
ऐसी घटनाएं यह साबित करती है।
जनता का अदालतों पर से विश्वास उठने लगा है ,इसकी वजह यह है।
अगर कोई मामला अदालत में जाता है तो वर्षों लग जाता है इंसाफ मिलने में , कहीं इस घटना के बाद देश में विस्फोटक स्थिति निर्मित ना हो जाए ।

लोग इंसाफ के लिए अदालतों में जाना छोड़ दें बदला लेने के लिए हथियारों की दुकानो पर खड़े होकर हथियार
खरीदने ना लगे और  खुद वकील, खुद ही जज और खुदफैसला देने ना लगे ।

इससे देश में अपराध बढ़ेंगे क्योंकि ज्यादातर लोग किसी न किसी मामले में अदालतो के चक्कर काटते रहते हैं ।
पीढ़ियां निकल जाती है, फ़ैसला आने में ।
सरकार को चाहिए जो अति गंभीर मामले हैं उनका फैसला फास्ट्रेक कोट्स में दें।
यह फैसला सभी अदालतों में मान्य हो और फ़ैसले की सजा 30 दिन के अंदर हो।

इससे अदालतों के प्रति जनता का विश्वास बढ़ेगा
ऐसा नहीं हुआ तो तो जनता बोलेगी ।
वाह मेरे देश , तुझ को सलाम।
यहाँ कानून अँधा है, मैने तो जिन्दगी बिता डाली,इन्साफ के लिए  तेरी आँखों से सच्चाई का पर्दा न उठा।

 

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