नितदिन और आगे भी चलता रहेगा दहशत भरा कोरोना का रोना धोना, क्या सच और क्या है झूठ ? जनता से कहीं बड़ा धोखा तो नहीं?

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रिपोर्टर:-

जिधर देखिए कोरोंना का डर , हर एक की जुबां पर कोरोना की की चर्चा। दहशत भरा माहौल।
जो भो हो कोरोना छोड़ बीमारी चाहे कोई भी हो जिन्हें कोरोना संक्रमित बताकर अस्पतालों में डाला जा रहा है, बचाया भी जा रहा मरवाया भी जा रहा है
ऐसे लोगों की दोबारा जांच कराई जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

हमे तो बिना लक्षण वाले पॉजिटिव घोटाला नज़र आता है।
क्योंकि कोरोना महामारी के लिए अबतक कोई वेकसिन या दवाई का पुख्ता सुराग नहीं लग सका।
बड़े से बड़े अस्पताल, सर्जन डॉक्टर्स, आयुर्वेदिक डॉक्टर्स, साइंटिफिक कोई भी माई के लाल सिना ठोंक के ये क्यों नहीं जाता पा रहे कि अब कोरोंना महामारी से डरने की किसी को भी ज़रूरत नहीं रही? हमने इस ला इलाज बीमारी की दवाई और वैक्सीन बना डाली है?
फलां ,फलां है ये है इस बीमारी के इलाज के सबूत!

गौर तलब हो कि बिना वैक्सीन, बिना दवाई के ये कैसे मुमकिन है कि इतनी खतरनाक जानलेवा कोरोना बीमारी से इतना जल्दी कोई मरीज़ कैसे क्या ठीक हो सकता है?
आज नेगेटिव, तो कल पॉजिटिव।
आज पॉजिटिव, तो कल नेगेटिव!
एक ही वक़्त में एक लैब से नेगेटिव, दूसरी से पॉजिटिव? ये सब गड़बड़झाला, घोटाला , है क्या ये माजरा?
ऐसे लग रहा है कि इस जानलेवा महामारी की आड़ में अजीब ओ गरीब गोरखधंधा चल रहा है ?
नेताओं के ट्वीट देखिए- कोरोना पॉजिटिव आया हूं। वैसे मैं स्वस्थ हूं।’ वगैरह ।

ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब स्वस्थ हो तो टेस्ट क्यों कराया?
सरकार को ये भी बताना चाहिए कि जो लोग रिकवर हो रहे हैं, उन्हें क्या दवा दी जा रही है? कहां से इजाद की ये दवाई और वैक्सीन?
अगर इस लाइलाज बीमारी की कोई ठोंस दवाई या वैक्सीन उपलब्ध हो तो सरकार उसे सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है ?
जिससे संक्रमित घर पर ही इलाज कर सकेगे।
कहीं ऐसा तो नहीं कि कोरोना भ्र्ष्टाचार का साधन बन गया हो? जितने ज्यादा मरीज़, उतना ज्यादा कमीशन ?

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