भारत के मुस्लिमों ,तुम्हारी आबादी दुनिया के मुस्लिम देशों से अधिक है, फिर भी आप अल्पसंख्यक होने का रोना क्यों रोते रहते है?


संवाददाता
मोहमद इमरान खान

अल्पसंख्यक

भारतीय मुसलमान आबादी लगभग तीस करोड़ यानी की अमेरिका की आबादी के लगभग बराबर, इंडोनेशिया की आबादी से ज्यादा, रूस और बांग्लादेश की आबादी से लगभग दो गुना, पाकिस्तान की आबादी से लगभग डेढ़ गुना, तुर्की मिश्र और ईरान की आबादी से लगभग तीन गुना, साउदी की आबादी से लगभग आठ गुना, कतर की आबादी से लगभग सौ गुना, यूएई की आबादी से लगभग तीस गुना, कुवैत की आबादी से लगभग पचास गुना, ब्रिटेन और फ्रांस की आबादी से लगभग चार गुना, जर्मनी की आबादी से लगभग तीन गुना, जापान की आबादी से लगभग ढाई गुना, आस्ट्रेलिया की आबादी से लगभग दस गुना।

इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद इतना हीन भावना से पीड़ित हैं कि हमेशा खुद के अल्पसंख्यक और कम होने का रोना रोते रहते हैं!
अगर तुम तीस करोड़ होकर भी खुद को अल्पसंख्यक और कमजोर समझते हो तो इसका मतलब है कि तुम बुजदिल हो तुम्हारे अंदर हीन भावना भर दी गई है।

तुम ये क्यों सोचते हो कि हम कम हैं, हम कमजोर हैं इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। तुम ऐसा क्यों नहीं सोचते कि तुम अमेरिका से ज़्यादा हो तुम खाड़ी देशों की कुल आबादी से ज्यादा हो। तुम कम नहीं बल्कि तुम बहुत हो तुम हर वो काम कर सकते हो जो अमेरिका के तीस करोड़ लोग कर रहे हैं।
तुम ये उम्मीद क्यों करते हो कि तुम्हारे लिए साउदी, दुबई, कतर, कुवैत आवाज उठाएं। तुम ऐसी कोशिश क्यों नहीं करते कि साऊदी और कुवैत तुम से मदद मांगें?

तुम कम कहां हो! तुम तीस करोड़ हो। ये सोचो कि तुम उनके पैरोकार हो जो सिर्फ तीन सौ तेरह थे और खुद को कमजोर नहीं समझते थे। तुम तीस करोड़ होकर भी खुद को कमजोर क्यों समझ रहे हो?
तुम चाहो तो दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकते हो, मगर उसके लिए अपने अंदर तुम्हें कुछ बदलाव लाने पड़ेंगे।
तुम्हें पान और चाय की छपड़ियों में गप्पे बाजी बंद करके, मोहल्लों में टपोरी गिरी बंद करके, आपस में हसद कीना, बुग्ज,और नफ़रत खत्म करके खुद को शैक्षिक आर्थिक राजनैतिक रूप से मजबूत करना पड़ेगा।

अगर कोई तुम्हारे पास आए और बोले कि भैया हम क्या कर सकते हैं, हम तो अल्पसंख्यक हैं, हमें बहुसंख्यकों के पीछे चलना चाहिए, हमारा अकेले कोई वजूद नहीं उसे दुत्कार के भगा दो ऐसे लोग तुम्हारे दुश्मन हैं। ऐसे लोग तुम्हारे दुश्मन हैं। ऐसे लोग तुम्हारे दिलों को कमजोर करते हैं। तुम्हारे लिए ऐसे लोग महज रोड़ा बने हुए तुम्हे आगे आने और तरक्की से पीछे कर रहे है। ऐसे लोगों से तुम खुद पीछा छुड़वाओगे तो तुम्हारी तरक्की होगी।

बस इतना याद रखो कि तुम कतर से सौ गुना ज्यादा हो।

संवाद
अकरम खान

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