कोरोना महामारी से निपटने में राज्य सरकार हर हाल कोशिश कर रही है किंतु जेल खाने में बंद कैदियों की तरफ कोई ध्यान नही,क्या जेलों में बंद कैदी इंसान नही हैं ?

मुंबई :-कोरोना वायरस के डर से उससे कैसे बचा जाए?इसके लिए हमारी सरकार हर तरह की कोशिश कर रही है ।
15 मार्च से 31 मार्च तक स्कूलों ,कॉलेजो ,में छुट्टियां दी गयी है ।थिएटर ,मॉल स्विमिंग पूल जिम ,वगेरा सब बंद कर दिये गए है ।
लेकिन कभी किसी ने महाराष्ट्र की जेलों में बंद क़ैदियो के बारे में नही सोचा ना ही ध्यान दिया कि इन जेलों में कैदी रखने की कितनी क्षमता है, कितने कैदी फिलहाल जेल में हैं?
उन्हें किस स्तर का भोजन दिया जा रहा है, पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं, उनके स्वास्थ सुविधाएं कैसी हैं?
हम बात करे आर्थर रोड जेल की तो यहां की हालत काफी खस्ता बताई जाती है।
इस जेल में क्षमता से भी कई ज़्यादा कैदीयो की भरमार है, खाने व पीने का पानी तक का सही इंतिज़ाम नही हैं ?
इसी तरह उनके लिए मेडिकल सेवाएं भी सही से उपलब्ध नही है ।
हमारे महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री उद्धव ठाकरे जी व होम मिनिस्टर अनिल देशमुख जी से गुज़ारिश हैं कि वो इंसानियत के नाते इस तरफ ध्यान देते हुए इन सभी जेल में बंद क़ैदीयो की हालत को परखे। इसकी तरफ तवज्जो देकर सही इंतिजामात करके उनको सुविधाएं देनें का फरमान जारी करे ।
क्योंकि कैदी भी इंसान है।
ज्ञात होकि हमारे होम मिनिस्टर अनिल देशमुख जी ने जेलों में बंद क़ैदियो की मेडिकल जांच के हुक्म दिए है।
अब देखना ये है कि इन जेलों में बंद अंडर ट्रायल व दूसरे क़ैदीयो को क्या राहत मिलती है तथा हमारी सरकार उन्हें क्या सुविधाए देती है ?