केवल विवाह पंजीकरण वैध विवाह का नही है सुबूत:इलाहाबाद हाई कोर्ट
अरविंद कुमार त्रिपाठी एडवोकेट
कोपागंज मऊ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाह पंजीकरण वैध विवाह का नहीं है सबूत
केवल इसे साक्ष्य के रूप में किया जा सकता है इस्तेमाल।कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र का नहीं है कोई वैधानिक प्रभाव।
कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की सहमति से होनी चाहिए परंपरागत शादी। जिसमें सप्तपदी की रस्म हुई हो पूरी।.कोर्ट ने कहा कि जब शादी ही वैध नहीं तो हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के तहत विवाह पुनर्स्थापन की अर्जी परिवार अदालत द्वारा स्वीकार न करना कानूनन सही है।शादी के वैध सबूत के बगैर धारा-9 की अर्जी नहीं की जा सकती मंजूर।
कोर्ट ने परिवार अदालत सहारनपुर के धारा-9 की अर्जी खारिज करने के फैसले के खिलाफ प्रथम अपील कर दी खारिज।जस्टिस एसपी केसरवानी और जस्टिस राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने आशीष मौर्य की अपील पर दिया यह आदेश।
याची आशीष मौर्य का कहना था कि अनामिका धीमान उसकी पत्नी है।. विवाह पुनर्स्थापित करने की परिवार अदालत में अर्जी दी। बाद में समझौते के आधार पर वापस ले ली। किंतु कुछ दिन बाद दुबारा अर्जी की दाखिल।कथित पत्नी ने शादी होने से कर दिया इनकार और कहा कि झूठी शादी की गई है।.उसे ब्लैकमेल करने के लिए आर्य समाज से लिया गया है विवाह प्रमाणपत्र।
इसी मामले में थाना सदर बाजार, सहारनपुर में एफआईआर कराई गई है दर्ज।.पुलिस ने चार्जशीट भी कर दी है दाखिल। कोर्ट ने कहा सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 नियम 2 के तहत बिना शादी हुए पुनर्स्थापन अर्जी की जा सकती है दाखिल।
ऐसी अर्जी प्रतिबंधित मानने के परिवार अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने माना सही और कहा आर्य समाज का शादी प्रमाणपत्र शादी की वैधता का नहीं है सबूत!