एक यक्ष प्रश्न, मोदीजी को सब से पहले किस की जरूरत ज्यादा लग रही है,माफिया डॉन की या मिडल जितने वाली खिलाड़ियों की? ये भी जानिए कि उसके ना रहने से बीजेपी को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है?

संवाददाता

पिनाकी मोरे

वर्तमान दौर में मोदी को किसकी जरूरत ज्यादा है, माफिया डॉन की या मैडल जीतने वाली खिलाड़ियों की?

भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष और महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरे हुए बृजभूषण शरण सिंह ने दो दिन पहले ही मीडिया से बात करते हुए मेरी हैसियत 50 हजार करोड़ की है और मेरा व अखिलेश यादव का बचपन का साथ है, इन दो बातों पर काफी जोर दिया था।

उसकी ये दोनों ही बातें राजनीतिक दृष्टि से बड़ी महत्वपूर्ण हैं। और, इनका सीधा सम्बंध भाजपा और सत्ता के भूखे नरेंद्र मोदी से है।
यह सभी जानते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल का अस्तित्व नोट व वोट पर टिका होता है। इस मामले में भाजपा के लिए बृजभूषण का कितना महत्व है, यह मोदी एंड कंपनी द्वारा जंतर-मंतर पर 12 दिनों से धरने पर बैठी महिला पहलवानों की उपेक्षा करने से साफ हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवानों की रिपोर्ट दर्ज तो कर ली, लेकिन उनमें से एक नाबालिग लड़की की शिकायत पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज करने के बाद भी आरोपी बृजभूषण को कानून के अनुसार तुरंत गिरफ्तार करने की बजाय चुपचाप बैठ गई है।

तू नहीं तो और सही—
उधर अपनी गिरफ्तारी से डरे हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबंग डॉन के रूप में कुख्यात बृजभूषण का प्रैस के सामने अपनी आर्थिक हैसियत का दंभ भरना यह बताता है कि उसके न रहने पर भाजपा को कितना नुक़सान हो सकता है।
उसने उसी सांस में अखिलेश यादव से अपने बचपका नाता बताकर दूसरा दांव बीजेपी को यह बताने के लिए खेला कि यदि भाजपा नहीं, तो समाजवादी पार्टी उसका अगला ठिकाना है।

भई गत सांप-छछूंदर केरी—
खुद को RSS – भाजपा और समूचे देश से भी बड़ा दिखाने वाली अपनी छवि बनाने में ही दिन-रात मेहनत करने वाले मोदी यह भली-भांति जानते हैं कि बृजभूषण की पूर्वी उत्तर प्रदेश और उसके बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी अच्छी पकड़ है। ऊपर से उसका क्षत्रिय होना दूसरे राजपूत नेता और दिल्ली की कुर्सी पर आंखें गड़ाए बैठे मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ आदित्यनाथ को वशीभूत करने के लिए भी उन्हें इस माफिया डॉन की जरूरत है।

इसके अलावा करीब 50 हजार करोड़ के आसामी द्वारा पार्टी को मोटी फंडिंग भी एक जरूरी मुद्दा है।
ऐसे में सवाल सिर्फ एक सांसद सीट का ही नहीं, बल्कि मोटी पार्टी फंडिंग और भावी रणनीति का भी है। जिसे मोदी-शाह हरगिज नहीं खोना चाहते। जबकि दूसरी तरफ कार्रवाई नहीं करने पर पार्टी की जो फजीयत हो रही है, वह भी चिंता का विषय बना हुआ है।
इस तरह बृजभूषण को लेकर भाजपा की स्थिति सांप-छछूंदर जैसी हो गई है।

उधर यौन शोषण को लेकर रोती-बिलखती अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लड़कियों की तरफ से मोदी के आंखें मूंद कर बृजभूषण पर कार्रवाई न करने से आहत लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनैतिक पार्टियां अपना नफा-नुकसान देखकर ही फैसला लेती हैं। उन्हें जनता की भावनाओं या नफे-नुकसान से कोई लेना-देना नहीं होता। यदि ऐसा होता, तो संसद में दागी सांसदों की भरमार न होती।

सत्ताधारियों को अच्छी तरह मालूम है कि पिछली बार की तरह हवा का रुख इस बार उनके पक्ष में नहीं है। भाजपा को 2024 में एक-एक सांसद सीट के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। ऐसे में सीट जिताऊ एक-एक सांसद उनके लिए बहुत मायने रखता है।

उधर कर्नाटक में हालत बहुत खराब चल रही है। वहां पिछली बार तो हारी हुई बाजी जोड़-तोड़ करके पलट दी थी लेकिन इस बार सीटें उससे भी बहुत कम आने की पूरी आशंका है। जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़े बिना नहीं रहेगा। इसी कसमकश में राजनीति का गुणा-भाग लगाया जा रहा है।
उधर, धरने पर बैठी महिला पहलवानों के बढ़ते जन-समर्थन से भी देश-विदेश में थू-थू में भी वृद्धि होती जा रही है। इसीलिए डेमेज कंट्रोल के लिए आइओसी अध्यक्ष पीटी. ऊषा को आज जंतर-मंतर भेजा गया।
अब देखना यह है कि मोदी को किसकी जरूरत ज्यादा है, दर्जनों आपराधिक मुक़दमों में आरोपी एक माफिया डॉन की या अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धाओं में मैडल जीतकर राष्ट्रीय गौरव-गरिमा में चार चांद लगाने वाली खिलाड़ियों की।

जंतर मंतर पर पहलवानों पर हमला हुआ है..पहलवानों का सर फोड़ दिया गया है..हर Tv चैनल पर लाइव चल रहा है..
जिन पहलवानों को PM मोदी बेटी, बेटा” कहते थे आज वो ही मोदी को दुश्मन लग रहें है!! और उन्ही बेटियों पर आधी रात को हमला किया जा रहा है?
दिल्ली पुलिस अमित शाह के मातहत आती है..और अमित शाह किसी भी हद तक जा सकता है।
बेटियों को बचाओ..’इज़्ज़त भी लूटी जाएगी और क़त्ल भी की जाएंगी..इस गुनाह की क़ीमत तुम्हारी औलादों को ना अदा करना पड़े यही दु’आ है।
आक थू.

संवाद
कृष्णन अय्यर,
हरित सिंग रावत

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