क्या हम इस ज़हरीली ज़िन्दगी से बच पाएंगे? चारो तरफ ज़हर परोसा जा रहा है,ऐसे में असल जिंदगी पर जनता एवम प्रशासन का कोई ध्यान है ? जाने !

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रिपोर्टर.

पंजाब देश का सर्वाधिक केंसर पीड़ित राज्य है कारण अत्यधिक कीटनाशक, खाद आदि का प्रयोग?
कल एक सोशल मीडिया वीडियो में बताया जा रहा था क़ि किस प्रकार व्यवसाय और कंपनी के टारगेट के चक्कर मे कीटनाशक दवा विक्रेता ज्यादा से ज्यादा जहर का विक्रय करते है और यही सत्य है।

कुछ समझदार किसान दो तरह की खेती करते है.
एक घर के लिए ऑर्गनिक और आम व्यक्ति/समाज के लिए जहर युक्त कीटनाशक और खाद मिश्रित अन्न।
किन्तु ऐसा करने वाले भी कब तक बच पाएंगे? समाज का निर्माण तो एक दूसरे के विश्वास पर हुआ है।
दूध का उत्पादन ही ले आप घास तो ख़िलाएगें दूध में जहर की मात्रा आ जायेगी !
आप होटल या पार्टियों में रंग बिरंगे खाद्य देखते है ये सब कलर की देन है।
पनीर की सब्जियों में लाल रंग बगेर लाल मिर्च के कैसे आ सकता है ?
और रही सही कसर अब हमारी जीवनशैली ने पूरी कर दी है कुछ भी खाओ पियो देर रात सोना खाना और सुबह देर से उठना कोल्ड ड्रिंक और फ्रीज के पानी की दुनिया।
यदि शुध्द पानी पीना है तो आर ओ वाटर चाहिए जिसमें मिनरल ही नही रहते और हम बीमार हो जाते है ।

हमारे अत्याचार का परिणाम हम देख रहे है पक्षियों का कलरव खत्म हो चुका है? जंगल का शेर हमे ढूंढना पड़ता है ?
एलोपैथिक दवाओं ने अपना असर दिखाना बंद कर दिया है जिस देश मे दवाखाने की जरूरत नही होती थी उस देश मे हर चार कदम पर डॉक्टर मिलेंगे।
भले ही वे झोलाछाप ही क्यो न हो पर जरूरत आज समाज को है !
इस देश के नागरिक को क्या खाना है कैसे रहना है यह तक नही पता, बच्चे विलासिता के आदि हो रहे है और हम आसमान छूना चाहता है देश भक्ति का जज्बा केवल सोशल मीडिया तक सीमित है ।
वरना असली जिदगी में तो हम सब चादर तान कर सो रहे है?

 

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