अहले अरब को और एक् सद्दाम हुसैन की क्यों है ज़रूरत ?

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रिपोर्टर,

जबतक सद्दाम हुसैन ज़िंदा  रहे सारा अरब खुशहाल और पुर अम्न रहा.

ना मुल्क-ए-शाम में मुसलमानो का क़त्ल हुआ,ना यमन में कोई किसी के बगावत की आवाज़ उठी,ना बहरीन में तशद्दुद हुआ,ना हज्जाज़े मुक़द्दस (सऊदी अरब) में धमाके हुए,ना ही लीबिया में इंतशारी हुई और मिस्र समेत 34 मुल्क चैन की नींद सोते रहे ।क्योंकि खित्त-ए-अरब में दहशतगर्दी की सरपरस्ती करने वालों को इराक़ से गुज़रना पड़ता था।

और इराक़ का सदर सद्दाम हुसैन एक ग़ैरतमंद मुसलमान हुक्मरान था।

पर    अफ़सोस सद्दाम हुसैन के क़त्ल पर अरबों ने अमरीका का साथ दिया अब लम्बे अर्से तक अरब इस गुनाह की कीमत चुकाएंगे।

शेर-ए-अरब सद्दाम हुसैन तुम्हारी  ज़रूरत को सलाम।

आज अहल-ए-अरब को एक और सद्दाम हुसैन की ज़रूरत है।

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