हिजाब न पहनने पर सजा ए मौत देना क्या कानूनन जुर्म नही है? , को वहां जो कुछ हो रहा हम उसे देख साजिश कह कर अपनी आंखें बंद नही कर सकते है!

ईरान में हिजाब का मामला

सब से पहली बात तो ये कि किसी औरत के पर्दा न करने के जुर्म में उसे हिरासत में लेना और फिर हिरासत में लेकर इतना पीटना की वो मर जाये कौन सा इस्लामी क़ानून है ?
किस फ़क़ीह किस इमाम ने पर्दा न करने की सज़ा मौत लिखी है ?

कोई पर्दा करे तो ठीक न करे तो उस के लिए सज़ा का क्या मतलब है ? क्या लंगोट बाँधने वाले जिस्म की नुमाइश करने वाले मर्द शरीयत की निगाह में गुनाहगार नहीं है ? अगर गुनाहगार हैं तो कितनों को आज तक इसके लिए सजा दी गई है ? या सारे क़ानून सारी सजाएं सिर्फ औरतों के लिए हैं ?

मुल्क में बेहयाई और नंगापन फैला तो सारी पाबंदी औरत पर लगा दी गईं कि ये नहीं कर सकती वो नहीं कर सकती यहां नहीं जा सकती ये नहीं पहन सकती.
सवाल पैदा होता है कि मर्द पर क्या पाबंदियां लगाई गईं. सत्र छुपाने और निगाह नीचे रखने का हुक्म दोनों को दिया गया है लेकिन हम लोग एक के ही पीछे पड़े रहते हैं और इस तरह पीछे पड़ गए कि जान लेने पर उतारू हो गए. ये ज़ुल्म है ये इस्लाम नहीं है।

इसलिए ईरान में हो रहे प्रोटेस्ट में अब तक 83 लोगों की मौत हो चुकी है। हुकुमत तानाशाह है ख़ामनाई क़ातिल है जैसे नारे लग रहे हैं।
अवाम और हुकुमत की इस जंग में हम अवाम के साथ है. ईरान की औरतों के साथ है

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