सुप्रीम कोर्ट की वजह से आज राहुल गांधी को खासे जीत हासिल हुई वरना निचली अदालतों पर क्या भरोसा करे जो किसी एक ही आदमी के कंट्रोल मै हो?

एमडी न्यूज चैनल टीम
संवाददाता

बात पप्पू अर्थात राहुल गांधी की नही न्यायपालिका की होनी चाहिए ।

दिल पर हाथ रखकर कहिए कि भला यह केस सुप्रीम कोर्ट तक जाना चाहिए था । ठीक है राहुल सुप्रीम कोर्ट से जीत गए हैं मगर एक बड़ा सवाल लोवर कोर्ट और हाईकोर्ट की तरफ़ खड़ा हो गया है । यह मुद्दा देश के सबसे प्रमुख विपक्षी लीडर से जुड़ा हुआ था । देश ही नही दुनिया भर की निगह हमारी तरफ थीं । तब इस हालत में लोवर कोर्ट और हाईकोर्ट ने क्या गुल खिलाया,वह हम सबने देखा है ।

ज़रा सोचिए कि यह किसी आम इंसान का मसला होता,तब तो लोवर कोर्ट ही उसे रगड़ कर फेंक देती । हमारी वह कोर्ट,जिससे हमारा सबसे पहला सामना होता है,उसका इतना पंगु होना चिंताजनक है । इस मसले का सुप्रीम चौखट तक जाना ही अपने आप में स्पष्ट सन्देश है कि हमारी निचली अदालतें किसके कंट्रोल में हैं ।

राहुल पहले दिन से ही सही थे

सबको इस बाबत खासे जानकारी थी । हर एक कह रहा था कि यह ग़लत हुआ,बदले की भावना से किया गया काम है, मगर कोर्ट इसका हिस्सा बन जाएंगी । यह सबसे खतरनाक बात है । जज ही जब न्याय नही करेंगे तो लोग आख़िर कहाँ जाएँगे । न्याय व्यवस्था का इतना बंधक बन जाना सबसे खतरनाक है, इससे आम इंसान के अधिकार पर अंकुश लगता है।

ज़ाहिर है यह जीत सच की जीत कहलाएगी । मगर इसने एक आईना भी दिखा दिया कि हमारी कोर्ट कैसी हैं और हमें कहाँ तक लड़ना पड़ेगा । राहुल निर्दोष थे,उन्हें देश की नई संसद के उद्घाटन से दूर रखना था । इसके लिए कितने कुचक्र रचे गए और किस किसका इस्तेमाल किया गया,यह देखना होगा । देश के एक संसदीय क्षेत्र को अपने सांसद के बगैर बेसहारा रखा गया,क्या इसका जवाब नही लिया जाना चाहिए?

राहुल पर फैसला देते वक़्त कितने ही विपक्षी सांसद और विधायकों की भी बात उठनी चाहिए,जिन्हें निचली अदालतों से सदस्यता से हाथ धोना पड़ा,उनके मुकदमे आज भी लंबित है । सांसद रहे आज़म खान साहब को भी अपनी सदस्यता गवानी पड़ी और कितनी आनन फानन में उस सीट पर चुनाव करवा दिए गए,उनके बेटे की सीट पर भी यही हुआ,क्या यह सब जांचा परख नही जाना चाहिए । देश के लोकतंत्र को खोखला करने के इन इरादों को समझना होगा । यह जीत तब पूरी जीत कहलाएगी, जब सभी अयोग्य करार दिए गए सदस्यों पर न्याय हो ।

लोकतंत्र पर प्रहार करने वाली हर उस ताकत को उसका असली चेहरा दिखाया जाना चाहिए आप सबको इसपर नज़र रखनी होगी,वरना सिर्फ वोट देने भर से हम मुक्त नही हो जाएंगे । हमारी जिम्मेदारी है कि अपने चुने हुए सांसद के लिए खड़े होना,यदि वह सही है तो।

राहुल पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पड़ी की है । यदि निचली अदालतों में गैरत है और वह चाहती हैं कि उनका सम्मान और साख बनी रहे । तो सत्ता से डरकर फैसले न दें या किसी लोभ में निर्दोष को दंडित न करें । हम सबको इसपर नज़र रखनी होगी । उन सभी लोगों को बधाई,जो हमेशा से कह रहे थे कि राहुल के साथ ज़बरन ग़लत किया जा रहा है ।

अब दूसरे सदस्यों के लिए न्याय मिल जाने तक खड़ा होना होगा । राहुल से तो बस यही कहना है कि अगर इस सत्र में आपकी सदस्यता बहाल हो जाती है । बिना दबाव के पार्लियामेंट सेक्रेटरी आपको वापिस आपकी कुर्सी देता है । तो इस सत्र में ऐसे अपनी बात रखियेगा की ज़माना याद रखे,कोई राहुल आया था,जिसने निरंकुश सत्ता को उसके प्रचंड बहुमत के सामने ललकारते हुए सच्चा आईना दिखाया,मगर अभी भी हमें शक है कि कहिए उन्हें इस सत्र के बाद ही मौका दिया जाए ।

संवाद;
पिनाकी मोरे

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