रघुराम राजन एक अनमोल हीरा जो भारत को फ्री में मिला था, क्या कह दिया मोदी के बारे में,? जानिए
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम गोविंद राजन 6 साल पहले गवर्नर पद से हट गए, उसके बाद भी उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन नही की। सच तो ये है कि वो भारत के गवर्नर नही बने थे, बल्की कांग्रेस सरकार ने उनकी योग्यता समझ के देश के भले के लिए उन्हें बनाया था।
वह अपनी दम और योग्यता से International Monetory Fund के चीफ इकोनॉमिस्ट थे। वही IMF जिसके सामने भारत और भारत जैसे कई देश खड़े रहते हैं। और जो दुनियां के लगभग सभी देशों की इकोनोमी को प्रभावित करता है।
वह शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी थे।
दुनियां के गिने चुने अर्थशास्त्रियों में से एक। जब 2008 में पूरी दुनियां मंदी की चपेट में थी तब इन्ही की मॉनेटरी पॉलिसी और PN notes की पॉलिसी ने भारत का सेंसेक्स और एफडीआई रिकार्ड हाई स्तर पे रख के अर्थव्यवस्था को चट्टान की तरह मजबूत रखा।
जब यूरोप एक करंसी अपनाने और अपना लोन बढ़ाने के चक्कर में पुर्तगाल और ग्रीस को कंगाल कर बैठा तब भारत उस आर्थिक त्रासदी में भी लगभग अछूता रहा। क्योंकि हमारे रिजर्व बैंक की बागडोर दुनियां से सबसे काबिल लोगों में से एक पास थी। ऐसे आदमी को कांग्रेस भारत लाई और रिजर्व बैंक की बागडोर दे दी। जिसका नतीजा ये हुआ की भारत की ग्रोथ रेट ऊंची रही।
रघुराम राजन ने कोरोना के दौरान भी राहुल गांधी से बात करते हुए अनाज वितरण और डायरेक्ट रिलीफ स्कीम की सलाह दी थी, जिसे बाद में मोदी सरकार ने माना ( हालांकि क्रेडिट कभी नही दिया )। वह राघुराम राजन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए हैं। तो हाय तौबा हो रही है। जबकि उन्होंने 6 साल बाद भी कभी कांग्रेस ज्वाइन नही की। कुछ ऐसे अधिकारियों के नाम है जो संवैधानिक पद पर रहते हुए या रिटायर होने के तुरंत बाद भाजपा के लिए काम करने लगे।
1) अजीत डोवाल (NSA)
2) पंकज मिश्रा (IAS )
3) विनोद राय (CAG)
4) राजेश्वर सिंह (ED Director)
5) वीके सिंह (आर्मी जनरल)
6) रंजन गोगोई (चीफ जस्टिस )
ये लिस्ट इतनी लंबी है कि बताते बताते किताब लिख जायेगी। तो यदि एक नॉन पॉलिटिकल यात्रा में कोई पूर्व अधिकारी पद छोड़ने के ६ साल बाद शामिल होता है तो इतनी हाय तौबा क्यों ?