पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ मध्य प्रदेश में कमलनाथ के फरमान का होगा पालन, या अवहेलना?
जुन्नारदेव
स्थानीय संवाददाता
असमंजस में है कुछ सवाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ में कमलनाथ के निर्देशो का होगा पालन?
क्या कमलनाथ के निर्देशों पर भारी पड़ेगी स्थानीय इकाई की रौजिती
जुन्नारदेव-
बीते माह प्रदेश की अधिसंख्य नगर निगम एवं नगर पालिका परिषद व पंचायतों में स्थानीय निकाय के चुनाव संपन्न हो गए। इन चुनावों के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा प्रत्याशी चयन के संदर्भ में दिए गए निर्देश के परिपालन के संदर्भ में संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाश शेखर के द्वारा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आदेश अनुसार पत्र जारी कर समस्त प्रदेश के पदाधिकारियों एवं
पार्टी अध्यक्षों को नपा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन में उनके वार्डवासी होने की शर्त का पालन किए जाने का निर्देश दिया गया था,
अब जबकि जुन्नारदेव नगर पालिका परिषद में आगामी माह में नपा चुनाव प्रस्तावित है, तब इन परिस्थितियों में कांग्रेस की स्थानीय इकाई के द्वारा क्या अपने नेता के इस आदेश का परिपालन किया जाएगा या नही? इसको लेकर यह बड़ा सवाल उठ रहा है।
दरअसल इस दिशानिर्देश की प्रासंगिकता इसीलिए अब अधिक बढ़ गई है कि गत दिवस आरक्षण प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद कांग्रेस के कई दिग्गजों के अपने राजनीतिक समीकरण गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं। पार्षद बनकर अध्यक्ष की दावेदारी रखने वाले ऐसे कई नेता
मौजूद है जो अपने प्रदेश संगठन के इन दिशानिर्देशों का कितना पालन कर पाएंगे. यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि इस संदर्भ में अब तक कांग्रेस के स्थानीय इकाई के द्वारा कोई स्पष्ट राय का दिया जाना जल्दबाजी ही सिद्ध होगी।
चुनाव की तिथि की घोषणा होने के बाद इस मामले पर पार्षद पद के प्रत्याशियों के बीच रस्साकशी होने की बड़ी संभावनाएं नजर आ रही हैं। देखना है कांग्रेस का स्थानीय संगठन टिकट वितरण के मामले में अपने ही प्रदेश संगठन के आलाकमान के दिशानिर्देशों का कितना पालन कर पाता है। यह अपने आप में कांग्रेस संगठन के लिए महत्वपूर्ण होगा। प्रदेश कांग्रेस समिति के इस अहम दिशा निर्देश की चर्चा अब शहर के नुक्कड़ों और चौक-चौराहों पर देखी-सुनी जा सकती है।
कांग्रेस के इन निर्देशों पर भाजपा में भी बढ़ी बेचैनी, अन्य वार्डो में नेताओं की घुसपैठ पर क्या भाजपा भी लगाएगी लगाम-
किसी अन्य दूसरे के वार्ड में घुसपैठ कर पार्षद बनने का सपना संजोने वाले ऐसे नेता सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं बल्कि भाजपा में भी मौजूद है। जहां एक और कांग्रेस की स्थानीय इकाई पर इस निर्देशों का पालन करने का दबाव दिख रहा है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा में भी कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति नजर आ रही है कि अनारक्षित मुक्त वार्ड में अब अध्यक्ष बनने की चाहत रखने वाले पिछड़े वर्ग के नेता अपनी जुगत भिड़ाते में दिखते नजर आ रहे हैं।
अभी से ही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के यह सभी नेता जनता की कथित “सेवा” के नाम पर अपने निहित स्वार्थ का “मेवा” लूटने का यह अवसर इन नपा चुनाव में कतई नहीं छोड़ना चाह रहे है।