निजीकरण गला घोंट देने जैसा खतरनाक प्रकरण है जिसे हल्के में ना ले, वरना भविष्य में भुगतने होंगे दुष्परिणाम इस लिए जनता रहे सावधान!

भारतीय जनता सावधान!

भारत में कई पढ़े-लिखे लोग अभी निजीकरण को बहुत हल्के में ले रहे हैं। निजीकरण एक गुलामी का पेंच” है जो धीरे-धीरे आपका गला घोंट देगा।
वह समय दूर नहीं जब इतिहास पढ़ाया जाएगा कि भारत का आखिरी सरकारी स्कूल,आखिरी सरकारी ट्रेन, आखिरी सरकारी बस,आखिरी सरकारी बिजली कंपनी, आखिरी सरकारी हवाई अड्डा और आखिरी सार्वजनिक उद्यम (कंपनी) का नाम क्या था?
जी हां! प्लीज चुप्पी तोड़ो और‌ इसे पूरी तरह जानो।

गर किसी सरकारी उपक्रम या सरकारी संस्थान का निजीकरण किया जाता है तो आम जनता की चुप्पी एक दिन पूरे देश को भारी पड़ेगी। क्योंकि जब
सारे स्कूल, कालेज
सारे अस्पताल,
सारे रेलवे स्टेशन
एयरपोर्ट, बिजली, पानी, बैंक,बीमा सब के सब निजी हाथों में होंगे तो आप देखेंगे कि तानाशाही क्या होती है?

याद रखियेगा! सरकार और सरकार की पहल का लक्ष्य न्यूनतम लागत पर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना है। अतएव निजी कम्पनियों का लक्ष्य न्यूनतम लागत के साथ अधिक से अधिक लाभ कमाना है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में वर्तमान की तुलना में अधिक बेरोजगारी और अल्प-रोजगार होगा।

मिसाल के लिए आज निजी स्कूलों, निजी अस्पतालों का हाल देखिए आम आदमी के घरदार और जमीन स्कूल और अस्पताल में प्रवेश करते ही सब बिक जाएंगे।
निजीकरण की साजिश पर लोगों की चुप्पी देश को कुछ उद्योगपतियों के गुलाम बनाने की नीति के अनुकूल है। तो आप जागो और अपने देश और देश की सार्वजनिक संपत्ति को बचाओ।

रेलवे को बचाना है, सरकारी अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों को बचाना है। सरकारी बिजली कंपनियों , LIC, बैंक बीएसएनएल, एयर इंडिया और डाकघरों को बचाना है, सरकारी कर्मचारियों और सरकारी विभागों को बचाना है। ईस्ट इंडिया (ब्रिटिश ) कंपनी की याद आती है। व्यापार के लिए आई और डेढ़ सौ साल तक हम पर शासन कीया देश की जनता को गुलाम बनाकर छोड़ दिया।

मुश्किल से ही सही पर जनता का काम करने के लिए सरकारी विभाग ही आगे आते हैं, आम जनता के लिए कोई निजी क्षेत्र काम नहीं करता, जिसका उदाहरण आपने हाल ही में देखा होगा. मजदूरों, श्रमिकों और छात्रों को ले जा रही निजी बसें.? कितने निजी संगठन और गैर सरकारी संगठन जमीनी स्तर पर लोगों की मदद कर रहे थे? कौन सी निजी एयरलाइन भी कोविड कॉल में भारतीयों को एयरलिफ्ट कर रही थी?
कितने प्राइवेट पायलटों ने तालिबान में घुसपैठ कर देशवासियों को निकाला बाहर?

इसलिए हर भारतीय नागरिक को निजीकरण का विरोध करना चाहिए, नहीं तो भविष्य में कुछ उद्योगपति ही इस देश को अपने घर से चलाएंगे और पूर्वी भारत का युग फिर सेवथोपा जाएगा ‌। इस बार सत्ता और अधिकार उन्हीं के हाथ में होगा जो ऐसा सोचते हैं।
जी हां! राजनीतिक सत्ता तो दिखावा बनकर रह जाएगी, यह बात निजीकरण के कबाड़ लोग समझ नहीं पा रहे हैं क्योंकि कुछ लोग अपने दिमाग से खेल रहे हैं । बस दो ही तरीके हैं या तो आप सभी अंबानी और अदानी जैसे बड़े उद्योगपति बन जाओ ताकि गरीब और मध्यम वर्ग रह सके। पर क्या हमारी अनेकता में ये संभव है? नहीं ना।
तो खेल‌ देखियें जानिए और खेल परखिए

शुरुआत में जी.ओ. डाटा.
पहली बार ग्राहकों को फ्री दिया गया।
बाद में रु. 49/- मंथली चार्ज
फिर रु. 99/-बाद में रु. 149/-
तो फिर 199/-
इसके बाद में रु. 249/-
फिर रु. 299/-,
फिर इसमें आहिस्ता आहिस्ताbरफ्तार बढ़ा कर रु. 399/-,फिर
रु. 499/- फिर
रु. 599/- उसके बाद
रु. 699/-
और अब रु. 720/- का चेजेस कहने को 3महीने का रिचार्ज।

सिर्फ 5 साल में 49 रुपए से 720 रुपए यानी 1400% की बढ़ोतरी
ये है निजीकरण का परिणाम सोचिये संगठित हो जाइये
हो सके तो इसे रोकिये
एक देशभक्त और जिम्मेदार भारतीय नागरिक होने का फर्ज अदा कीजिएगा

पूरा पढ़ें चिंतन करे यदि सही लगे तो फिर दूसरे ग्रुप में अवश्य भेजें। इस माध्यम से जागरूकता पैदा करनी चाहिए। पहले लोगों को जागरूक किया जाए, तभी इसका प्रभाव सरकार और जनप्रतिनिधियों पर पड़ेगा।

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