डॉलर की जबरदस्त कमी की वजह से इस साल श्रीलंका के मात्र960 मुसलमान ही प्राप्त कर सके हज का सौभाग्य ?
मो अफजल इलाहाबाद
इस वर्ष श्रीलंका के मात्र 960 मुसलमान ही ह़ज का दीदार कर सके..हालांकि 1-जून 2022 को श्रीलंकी मुसलमानों , ह़ज कमेटी और ह़ज ऑप्रेटर्स के संगठनों ने ह़ज ऑप्रेशन निरस्त करने का फ़ैस़ला कर लिया था।
तय ये पाया कि चूंकि मुल्क में डॉलर की ज़बरदस्त कमी है और ह़ज ऑप्रेशन के लिए दस मिलियन डॉलर की ज़रूरत पड़ेगी इसलिए परेशानी के वक़्त देश को एक बड़े बोझ से बचाने ना चाहते हुए भी ह़ज नहीं करने जाने मुस्लिम संगठनों का संयुक्त फ़ैसला क़बूल कर लिया जाए।
इस साल सऊदी अरब सरकार ने श्रीलंका के बीस लाख से अधिक मुसलमानों के लिए 1585 ह़ाजियों का कोटा मुक़र्रर किया था।नेशनल ह़ज कमेटी टूर ऑप्रेटर्ज़ और दीनी व सियासी रहनुमाओं ने एक संयुक्त मीटिंग करके इस बात पर सहमति बना ली थी कि देश आर्थिक बदहाली दौर से गुज़र रहा है ऐसे में मुसलमानों द्वारा ह़ज पर जाने की स़ूरत में नेशनल बैंकों के सामने डॉलर की उपलब्धता एक विकराल समस्या बन जायेगी।
श्रीलंका में ह़ज पर जाने के लिए इस साल 1500-डॉलर अदा करने थे।इस समय एक अमेरिकी डॉलर की क़ीमत लगभग 360 श्रीलंकी रूपया के बराबर है यानि प्रति श्रीलंकी ह़ाजी के ह़ज का ख़र्च लगभग पांच लाख चालीस हजार रूपए था।
मसला यह नहीं था कि ह़ज की इच्छा रखने वाले श्रीलंकी मुसलमान क़ीमत अदा नहीं कर सकते थे बल्कि अस़ल मसला यह था कि श्रीलंकन केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा का अकाल पड़ा हुआ था और अधिकारियों ने ह़ज के लिए अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने में हाथ खड़े कर दिए थे,इसलिए मुसलमानों ने गुंजाइश होने के बावजूद ह़ज पर नहीं जाने का फ़ैस़ला कर लिया?
लेकिन फिर अचानक 9-जून को श्रीलंकी सरकार ने फ़ैस़ला किया कि मुसलमानों से ह़ज करने की रिक्वेस्ट की जाए।लेकिन रिक्वेस्ट करने वाले अधिकारियों ने एक शर्त रख दी कि हर ह़ज यात्री को यह रक़म डॉलर में ही अदा करनी होगी और यह छूट भी दे दी कि जिस ह़ज यात्री से देश के अंदर डॉलर का इंतज़ाम नहीं हो सकता वह बाहर किसी देश से इंतज़ाम करा सकें तो उनके लिए एक सरकारी एकाउंट भी उपलब्ध करा दिया गया।
इस तरह 1585 में से 960 ह़ज यात्रियों ने डॉलर का इंतज़ाम कर लिया..और 625 यात्री ऐसे थे जो डॉलर का इंतज़ाम नहीं कर सके यानि मुसलमानों ने लगभग 14-लाख 40-हज़ार डॉलय का इंतज़ाम कर दिया।
संवाद
मारूफ उर्दू जर्नलिस्ट Wadood Sajid स़ाह़ब की उर्दू पोस्ट का तर्जुमा।