जौनपुर जिले के मीरगंज इलाके का यह वही गोधना गांव है जहां बेकसूर 33 लोग नाहक जेल की सजा काट रहे है ,क्या इल्जाम है उन? पर जानिए

एमडी डिजिटल न्यूज चैनल और प्रिंट मीडिया

संवाददाता;मोहम्मद

आज मैं जौनपुर ज़िले के मीरगंज इलाके के गोधना गांव गया।यह वही गोधना गांव है जहां के 33 लोग जेल की सज़ा काट रहे हैं।इल्ज़ाम है कि 10 वीं मोहर्रम के जुलूस में इन लोगों ने विवादित नारे लगाए।गांव वालों का कहना है इल्ज़ाम झूठा है। वह नफ़रती सियासत की साज़िश का शिकार हुए हैं।

बताते हैं कि अखाड़े के उस्ताद के नाम पर लड़कों ने ताज उस्ताद ज़िंदाबाद के नारे लगाए थे।वायरल वीडियो को ध्यान से सुनने पर उनकी बातें सच्ची भी लगती हैं।ख़ैर , सच और झूठ का फ़ैसला अब पुलिस प्रशासन और अदालत के पाले में है।फिलहाल दिल पर पत्थर रख कर उस बस्ती का आँखों देखा हाल सुनिए

ऐसा बुरा हाल है कि गोधना गांव की फ़िज़ाओं में सन्नाटा पसरा है।घरों के बाहर मवेशी या बच्चे ही दिखते हैं।घरों के भीतर महिलाएं और बूढ़े बीमार लोग हैं।कुल 33 लोग जेल में हैं जिनमे से ज़्यादातर 18 से 25 साल की लड़के हैं।बाकी के मर्द गांव छोड़ कर कहीं और चले गए हैं। 56 साल के रियाज़ को गले का कैंसर है। दवाएं खत्म हो गयी हैं , दो बेटे जेल में हैं बीवी उनकी मौत की दुआ मांग रही है।गांव की आधी आबादी बेहद गरीब है।हर दिन कमाने और खाने वाले लोग है।यही वजह है कि कई घरों में चूल्हे सर्द पड़ गए हैं फाके की नौबत आ गयी है!

बात करने पर औरतें बिलख पड़ती हैं और बस्ती में किसी भी अजनबी को आता देख बच्चे घरों में दुबक जाते हैं।इस गांव के 13 लोगों के घर गिराने का भी आदेश अचुका है और इस आदेश के साथ ही हर परिवार पर 18 लाख रुपये से ज़्यादा का जुर्माना भी लगाया गया है।मेरा दावा है कि इस बस्ती का दर्द देख कर कोई भी इंसान अपने आँसू रोक नहीं पायेगा।

गोधना गाँव जाने और इतनी लंबी पोस्ट लिखने का मकसद यह है कि समाज के कुछ लोग बाज़मीर लोग थोड़े थोड़े राशन, तेल , आलू प्याज़ और मसाले इकट्ठे कर लें और इन जरूरतमंदों को भूखों मरने से बचाने के लिए आगे आएं।इनको क़ानूनी मदद देने के लिए मैंने कुछ ज़िम्मेदार लोगों से बात की है।

पोस्ट को साझा करें, अपने जान पहचान के ऐसे लोगों को कमेंट बॉक्स में टैग करें जो इस मामले में मददगार साबित हो

सकते हैं।

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