जिसको बुतशिकन के नाम का लकब मिला उस सुलतान महमूद गजनवी का आज 2 नवंबर971 यौमे पैदाइश का दिन है,और भी कुछ क्या खास जानकारी है? जाने

सुल्तान महमूद ग़ज़नवी
2 नवम्बर 971 याैमें पैदाईश

आज ही के दिन बुतशिकन महमूद ग़ज़नवी की पैदाइश हुई थी, बुतशिकन महमूद ग़ज़नवी की उम्र लगभग 59 साल हुई थी, महमूद ग़ज़नवी ने लगभग 32 साल हुक़ूमत की,

महमूद ग़ज़नवी का जन्म अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़ना नगर में हुआ था, आप के वालिद का नाम सुबुक्तिगिन था,
महमूद ग़ज़नवी ने मग़रिबी और शिमाल-मग़रिबी हिंद पर भी हुक़ूमत की है, इन्हीं के लिए अल्लामा इक़बाल ने शेर कहा था,
हम से पहले था अज़ब तेरे जहां का मंज़र,
कहीं मस्जूद थे पत्थर कहीं माबूद शजर ।

महमूद ग़ज़नवी एक ऐसा नाम है जिस से कोई हिंदी ही नावाक़िफ़ होगा, हिंदी मुअर्रिख़ों ने महमूद ग़ज़नवी के क़िरदार को महज दाग़दार किया और आज भी वही छवि तमाम के दिल-ओ-दिमाग़ में छपी हुई है फिर इक़बाल ने कहा था कि
क़ौम अपनी जो ज़र-ओ-माल-ए-जहां पर मरती ।
बुत-फ़रोशी के एवज़ बुत-शिकनी क्यूं करती ।

बहरहाल जो छवि हुनूद ने बनाई है उस से हटकर कुछ बातें बताना चाहूंगा, महमूद ग़ज़नवी पहला आज़ाद हुक़्मरां था जिसे ‘सुल्तान’ का लक़ब मिला, बुतशिकन सुल्तान महमूद ग़ज़नवी को यामीन उद्-दौला अबुल क़ासिम महमूद बिन सुबुक्तिगिन के नाम से भी जानते है,

मज़ार-ए बुतशिकन :
सुल्तान महमूद ग़ज़नवी की वफ़ात 1030 ईस्वी में हुई थी जैसा कि मैं ने शुरुआत ही में लिखा भी है,1974 ईस्वी में ग़ज़ना में ज़लज़ला आया तो बाइस-ए-ज़लज़ला महमूद ग़ज़नवी का मज़ार फट गया, हुक़ूमत ने जब मज़ार को दोबारा बनवाना चाहा और क़ब्र को खोदा तो अंदर महमूद ग़ज़नवी के ज़िस्म को सही-सलामत पाया, 900 सालों से ज़्यादा महमूद ग़ज़नवी के ज़िस्म को दफ़्न किए हो गए थे उसका हाथ सीने पर था ‘जब उठाया तो बिल्कुल मुलायम, यह शान है बुत शिकन महमूद ग़ज़नवी की । इसी शान के लिए इक़बाल ने कहा था कि
क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में ।बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात ।।

संवाद
मो अफजल इलाहाबाद

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT