MP के मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी एवं घोटालेबाजी के आरोप

तकीम अहमद जिला ब्यूरो
परासिया छिंदवाड़ा

परासिया में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप:

आर.टी.आई. से खुली पोल, दुकानों का अस्तित्व ही नहीं शासकीय अधिकारियों ने कर दिया लाखों का भुगतान

समाजसेवी रिंकू रितेश चौरसिया ने सांसद विवेक बंटी साहू से की उच्च स्तरीय जांच की मांग

छिंदवाड़ा, 20 जुलाई 2025 – छिंदवाड़ा जिले के परासिया में 13 अप्रैल 2025 को आयोजित मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह एवं निकाह योजना के अंतर्गत हुए विवाह समारोह में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए, जिले के जाने-माने समाजसेवी रिंकू रितेश चौरसिया ने स्थानीय सांसद श्री विवेक बंटी साहू से तत्काल और निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। श्री चौरसिया ने इस संबंध में सभी आवश्यक दस्तावेज और पुख्ता साक्ष्य सांसद महोदय को सौंप दिए हैं।

मध्यप्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक नव-विवाहित जोड़े को ₹55,000 की सहायता राशि प्रदान की जाती है। हालांकि, परासिया में हुए इस आयोजन में, 647 जोड़ों से कथित तौर पर “व्यवस्था शुल्क” के रूप में ₹6,000 प्रति जोड़ा नकद वसूले गए, जिससे कुल ₹38,82,000 की राशि एकत्र हुई। यह राशि टेंट, भोजन और विवाह विधि पूजन जैसी व्यवस्थाओं पर खर्च की जानी थी।

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त दस्तावेजों के गहन विश्लेषण से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं:

प्रमुख अनियमितताएं एवं साक्ष्य:

संदिग्ध विक्रेताओं को भुगतान और फर्जीवाड़ा:

पुष्पा वस्त्रालय (चांदामेटा), प्रियंका ब्यूटीपार्लर (चांदामेटा) और आकाश फूल भंडार (चांदामेटा) जैसे विक्रेताओं के नाम पर लाखों रुपये के मनगढ़ंत बिल लगाए गए।

आकाश फूल भंडार के बिल में साधारण गुलदस्ते के मूल्य में भी हेराफेरी पाई गई (25 x 50 = ₹2500 अंकित, जबकि सही योग ₹1250 होता है)।

सबसे गंभीर बात यह है कि चांदामेटा नगर में भौतिक सत्यापन करने पर पता चला कि विगत 50 वर्षों से इस नाम का कोई दुकानदार अस्तित्व में नहीं है।
सवाल यह उठता है कि सरकारी अधिकारियों ने इन संदिग्ध प्रतिष्ठानों से कोटेशन कैसे प्राप्त किए, उनसे सामग्री कैसे ली और उन्हें लाखों का भुगतान कैसे किया?

टेंट व्यवस्था में बड़ी धांधली:

जेड केटर्स, छिंदवाड़ा द्वारा 690 टेंट सीलिंग लगाने के लिए ₹11,50,854 का भारी-भरकम बिल प्रस्तुत किया गया। प्रत्येक सीलिंग 225 वर्ग फीट की होती है, जिसका अर्थ है कुल 1,55,250 वर्ग फीट की व्यवस्था।
हालांकि, कार्यक्रम स्थल पर इतनी बड़ी जगह उपलब्ध ही नहीं थी। उपलब्ध वीडियोग्राफी से स्पष्ट है कि एक सीलिंग के नीचे 4 विवाह वेदी कुंड बनाई गई थीं, जिसके हिसाब से केवल 161 टेंट सीलिंग की आवश्यकता थी। शेष 529 सीलिंग कहां लगाई गईं और सरकारी अधिकारियों ने इस बड़े बिल का भुगतान क्यों किया?

भोजन व्यवस्था में गंभीर अनियमितता:

द मैहर कैटर्स, छिंदवाड़ा द्वारा 29,000 लोगों के लिए ₹47 प्रति व्यक्ति की दर से ₹13,63,000 का भोजन बिल लगाया गया। जबकि योजना के नियमानुसार, वर-वधू जोड़े के साथ केवल 20 लोगों को भोजन दिया जाना था (कुल 12,940 लोग)। यदि अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों और नेताओं को भी जोड़ लिया जाए तो अनुमानित संख्या 13,940 होती है। ऐसे में बाकी 15,060 लोग कौन थे जिन्होंने भोजन किया?
सरकारी अधिकारियों द्वारा टोकन व्यवस्था लागू की गई थी, और शासन द्वारा 16,000 भोजन टोकन प्रकाशित भी किए गए थे, तो शेष 13,000 बिना टोकन के भोजन किसे परोसा गया? इसके अतिरिक्त, ₹13,900 के नाश्ते के बिल में कोई विवरण नहीं है कि कितने नग और किस दर से नाश्ता और चाय प्रदान की गई।
मैहर कैटर्स द्वारा ₹14,43,706 के बिल पर हाथ से 18% जीएसटी जोड़कर ₹17,03,573 का भुगतान लिया गया, जबकि बिल में जीएसटी नंबर ही नहीं था और खाने पर केवल 5% जीएसटी लगता है।

जनरेटर का अनावश्यक उपयोग एवं भुगतान:

दुबे जनरेटर, परासिया द्वारा ₹14,000 का जनरेटर बिल (₹7,000 किराया और ₹7,000 डीजल) लगाया गया।
विद्युत मंडल परासिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 13 अप्रैल 2025 को एक सेकंड के लिए भी बिजली गुल नहीं हुई थी, और विवाह कार्यक्रम दिन में आयोजित किए गए थे।
ऐसे में जनरेटर का क्या उपयोग था और सरकारी अधिकारियों ने इस बिल का भुगतान क्यों किया?

अधिक भुगतान के अन्य मामले:

गायत्री परिवार, परासिया को विवाह संपन्न कराने हेतु 650 जोड़ों के लिए ₹2,92,500 का अधिक भुगतान किया गया, जबकि 641 हिंदू विवाह और 6 मुस्लिम निकाह (कुल 647) संपन्न हुए थे, जिसके अनुसार ₹2,88,450 का भुगतान होना था।

अकबर बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर परासिया द्वारा वेदी बनाने हेतु ₹23,000 का बिल लगाया गया, जिसमें दो ट्रॉली ईंट और दो ट्रॉली मुरम का बिल शामिल था, जबकि मौके पर केवल एक ट्रॉली ईंट और एक ट्रॉली मुरम का उपयोग हुआ था।

भ्रष्टाचार में सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता का संदेह

श्री चौरसिया ने यह भी उजागर किया है कि जनपद पंचायत परासिया के कंप्यूटर ऑपरेटर विकास बैन द्वारा सभी बिल कंप्यूटर से बनाए गए हैं, जिनकी लिखावट और फॉन्ट समान हैं। सबसे आपत्तिजनक बात यह है कि कई बिलों का भुगतान उनके परिवार के सदस्यों और सामाजिक न्याय विभाग अधिकारी, जनपद पंचायत परासिया, योगेश चौधरी के परिजनों के खातों में किया गया है। यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव और भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है।

जांच की मांग:

समाजसेवी रिंकू रितेश चौरसिया ने सांसद महोदय से विनम्र अनुरोध किया है कि इस गंभीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले की तत्काल और निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि दोषियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सके। उनका मानना है कि इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल सार्वजनिक धन का दुरुपयोग होता है, बल्कि मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की गरिमा भी धूमिल होती है और इसका लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है। सांसद विवेक बंटी साहू को मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह एवं निकाय योजना में की गई गड़बड़ी कि उच्च स्तरीय जांच हेतु जिले के सक्रिय समाजसेवी रिंकू रितेश चौरसिया, विधानसभा प्रभारी श्रीमती ज्योति डेहरिया, मोहन शर्मा वरिष्ठ पत्रकार संजय भारद्वाज ग्वाल तिवारी ललित तिवारी सभी ने आवश्यक दस्तावेज सौंपे है। सांसद विवेक बंटी साहू ने आश्वासन दिया जिला कलेक्टर से इसकी जांच करवा करके दोषियों को

कठोर
दंडात्मक कार्यवाही करवाई जाएगी।

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