EVM मशीन कोई भगवान नही है जिस से छेड़ छाड़ नही की जा सकती हो, ये कोई BJP की जीत नही है बल्कि EVM मशीन का कमाल है?

रिपोर्टर.
यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजे आये हैं वे बेहद हैरान करने वाले हैं!
ये भाजपा की नहीं इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों की जीत है।
इन चुनावों में भाजपा कहीं भी टक्कर में नहीं थी।
ये भाजपा की जीत नहीं है इसके पीछे बडे पूंजीपतियों, धनकुबेरों और और पूंजीवादी नात्सीवादी इलेक्ट्रोनिक मीडिया का जबरदस्त षडयंत्र है?
भाजपा और उसके प्रधानमंत्री मोदी का नोटबंदी के बाद यूपी चुनावों में हारने का मतलब था भाजपा और इसके आका बडे पूंजीपतियों और धनकुबेरों का विनाश।
और भाजपा और इसके आकाओं को ये बात अच्छी तरह से पता थी कि जनता नोटबंदी के बाद तो बिल्कुल भी वोट देने वाली नहीं है!
और इस बार तो उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव वैसे भी किसी मजाक से कम नहीं थे।
जिस चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाने की बांग लगा रखी थी ।
वे देश की जनता को ये बतायें क़ि क्यों उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव एक माह के लंबे समय तक और सात चरणों में करवाये गये?
जिस चुनाव आयोग को मात्र एक राज्य के चुनाव एक माह और सात चरणों में कराने पड रहें हैं वह पूरे देश में एक साथ चुनाव क्या खाक करवा पायेगा?
क्यों देश का प्रधानमंत्री एक माह तक सारा कामकाज छोड कर यूपी में पडा रहा?
और चुनाव से आठ दस दिन पहले अचानक ही जिस आत्मविश्वास से प्रधानमंत्री समेत पूरी भाजपा ने ये घोषणा कर दी क़ि वे यूपी चुनाव में दो तिहाई बहुमत से जीत रहे हैं यह भी शक के दायरे में हैं?
और पूंजीवादी नात्सीवादी इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सारे चैनलों ने जिस तरह से एक सुर में भाजपा के पक्ष में एक्जिट पोल के नतीजे दिखाए,
उससे ये साफ जाहिर है कि ईवीएम मशीनों से भाजपा की जीत और फर्जी मोदी लहर की पहले से पूरी तैयारी थी!
यूपी के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में तो हालात यह थे की भाजपा और आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं की घुसने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी!
वहां से भी भाजपा का जीतना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है?
ये सारी बातें साफ साफ दर्शाती है कि ये भाजपा की जीत नहीं बल्कि ईवीएम मशीनों से की गई छेडछाड का नतीजा है।
अमेरिका जैसे देश में भी ईवीएम मशीनों से चुनाव नहीं होते है।
अमेरिका में तो हालात ये हैं कि वहां बच्चा बच्चा भी ईवीएम मशीनों में हैकिंग कर आसानी से छेडछाड कर देता है।
ये बात तो स्पष्ट है क़ि ईवीएम मशीन कोई भगवान नहीं है जिससे छेडछाड नहीं की जा सकती हो?
यूपी विधानसभा ही क्यों अभी तो 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे ही किसी के गले नहीं उतर रहे है तथाकथित मोदी लहर के बावजूद मात्र 30 प्रतिशत वोटों या 18 करोड मतों के सहारे भाजपा का 290 से ज्यादा सीटें जीतना भी संदेह के दायरे में है और इसके खिलाफ उस समय भी आवाजें उठाईं गईं थी।
और अभी हाल ही में महाराष्ट्र में बंबई और अन्य नगरनिगमों के चुनावों में भी भाजपा की ज्यादा सीटें आना और अब यूपी चुनाव में भी ये सब होना वो भी केंद्र सरकार के खिलाफ भारी असंतोष के होते हुए इस बात की ओर इशारा कर रहा है की दाल में काला नहीं है बल्कि पूरी दाल ही काली है।
बसपा सुप्रीमों मायावती का प्रेस कांफ्रेस करके यूपी के ईवीएम से हुए चुनावों को निरस्त करने की मांग करना बिल्कुल वाजिब है।
ये चुनाव नहीं लोकतंत्र के साथ किया गया भद्दा मजाक हैं।
देशहित में ये अत्यावश्यक है कि उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनावों को तुरन्त रद्द किया जा कर बैलेट पेपर से वोटिंग करवा कर दुबारा चुनाव करवायें जायें।
अगर यूपी और अन्य राज्यों के ये चुनाव बैलेट पेपर से हुए होते तो भाजपा एक भी राज्य में दहाई का भी आंकडा पार नहीं कर पाती।
अत: अब तो यह वक्त आ ही गया है कि भारत में सभी तरह के चुनावों मे संधिग्द्ध ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जा कर सभी चुनाव बैलेट पेपर्स से करवाये जायें।
र्इवीएम मशीनें सिर्फ प्रतिद्वंदी राजनैतिक दलों का अस्तित्व समाप्त करने और एकदलीय तानाशाही को काबिज करने का साधन मात्र बन कर रह गई हैं।
यदि भारत में इसी तरह से ईवीएम मशीनो के माध्यम से हेराफेरी की जायेगी तो जनता का चुनावों में वोट देने का कोई मतलब ही नहीं है। और ना ही देश में किसी चुनाव आयोग की जरूरत है।
फिलहाल तो यदि यूपी विधानसभा के ये संदिग्द्ध चुनाव रद्द नहीं किये गये तो देश की जनता और लोकतंत्र को इसकी भारी कीमत चुकानी पडेगी ।