बिना कारण के मुद्दे उछाल कर क्या फायदा, एक न एक दिन सच क्या है, आ ही जाएगा सबके सामने
विशेष
संवाददाता
जब से सत्ता पर बैठने का मौका मिला है खूब झूठ का प्रोपेगंडा देशवासियों को परोसा जा रहा है, ये पब्लिक है सब जानती है। ऐसे में समस्त देश वासियों से हमेशा के लिए कौन बच सकेगा?
मोदी जी का भी यही हाल होने के आसार मोदीजी पर मंडरा रहे है।
बैकफ़ायर करेगा मोदी का राजनीतिक रुदन
मोदी और उनके समर्थकों को लगा था कि उन्हें बैठे-बिठाए एक बड़ा चुनावी मुद्दा मिल गया है और बिहार चुनाव में वे विपक्ष को धूल चटा देंगे।
मोदी ने इसीलिए मां के अपमान को लेकर भावुकता भरे भाषण के ज़रिए बिहार के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर भड़काने की कोशिश कर डाली।
इसके बाद पूरी बीजेपी और उसका आईटी सेल टूल किट लेकर विपक्ष ख़ास तौर पर राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव पर टूट पड़े। उनसे माफ़ी मांगने के लिए कहा जाने लगा।
बीजेपी ने पटना सहित कई शहरों में कांग्रेस के दफ़्तरों पर हमले और तोड़फोड़ भी कर डालि। यहां तक कि उसने बिहार बंद का ऐलान भी कर दिया।
जैसी कि संभावना थी दलाल मीडिया ने इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक समझा और विपक्ष के ख़िलाफ़ खूब अभियान छेड़ दिया।
ज़ाहिर है कि उसे भी उम्मीद थी कि इससे विपक्षी दलों और ख़ास तौर पर राहुल गाँधी को रक्षात्मक मुद्रा अपनाने के लिए विवश किया जा सकेगा।
लेकिन तीन दिनों में ही माहौल उल्टा बनने लगा है। पूरा सोशल मीडिया मोदी और उनके संगी-साथियों द्वारा दी गई ग़ालियों का हिसाब दिया जाने लगा।
इससे उनकी छीछालेदर शुरू हो गई। टीवी बहसों में भी बीजेपी के प्रवक्ताओं पर विपक्षी प्रवक्ता हावी हो गए।
तेजस्वी ने भी आज चुप्पी तोड़ दी और लंबा बयान देकर मोदी और उनके नेताओं की ग़ालियों की फेहरिस्त सामने रख दी। राहुल गाँधी ने बेशक़ अभी तक चुप्पी साध रखी है मगर कांग्रेस के नेता बिलकुल भी नहीं बख्श रहे हैं।
ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि कहीं मोदी का कथित मास्टर-स्ट्रोक बैकफ़ायर तो नहीं कर जाएगा?
बीजेपी के पास बिहार चुनाव में कोई ठोस मुद्दा और नरैटिव पहले ही नहीं था, इसलिए उसने इसे बड़ी उम्मीद से लपका था, लेकिन उसे फ़ायदे के बजाय बड़े नुक़सान होने के सिवाय हाथ लगने जैसा कुछ भी माहौल नहीं ऐसा समझा जा रहा है।