इंसानियत ही सब से बड़ा धर्म और कुछ भी नहीं

इंसानियत का निकाह”

ईरान की एक डॉक्टर लड़की, फातिमा, अपने नेक दिल और इंसानियत से भरे फैसले के लिए आज पूरी दुनिया में मिसाल बन चुकी है। बचपन से ही उसने अपने आस-पास के गरीबों की तकलीफें देखी थीं — किसी को दवा नहीं मिलती थी, तो कोई ऑपरेशन के लिए तरसता था।

जब उसका निकाह तय हुआ डॉक्टर अली से, तो दोनों ही समाज सेवा में रुचि रखते थे। निकाह के दिन जब मौलवी ने फातिमा से हक़ महर पूछने को कहा, तो उसने सबको चौंका दिया। उसने कहा:

मुझे गहने या पैसा नहीं चाहिए, मेरा हक़ महर होगा – 313 गरीबों का मुफ्त इलाज और ऑपरेशन।

डॉक्टर अली ने खुशी-खुशी यह बात कबूल की। दोनों ने मिलकर 313 गरीब मरीजों की लिस्ट बनाई, उनका इलाज करवाया, ऑपरेशन करवाए, और उन्हें नई जिंदगी दी।

इस शादी ने लोगों को सिखाया कि सच्चा प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए होता है।
आज यह जोड़ा ‘महर-ए-इंसानियत’ के नाम से जाना जाता है और उनकी कहानी हर दिल को छू जाती है।

कहानी जो दिल को छू जाए
महर ए इंसानियत
डॉक्टर जोड़ा
निकाह की नई सोच
इंसानियत ही धर्महै।
313 गरीब लोगों का इलाज एक वादा
सच्चा प्यार
दया ही शक्ति है
समाज सेवा कापैगाम
प्यार जो बदलाव
संवाद;मोहमद दादासाहब पटेल

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