पूरे देश का दिल दहला देनेवाली घटना के पीछे इनकी क्या थी मंशा
विशेष संवाददाता
पहलगाम की दर्दनाक घटना पर कुछ जलते सवाल
पिंटू जैन
पूरे देश का दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद पूरे देश में न सिर्फ एक संवेदना की लहर है बल्कि एक आक्रोश भी है !
किसी भी घटना के पीछे कोई उद्देश्य होता है इस घटना के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है यह मीमांसा का विषय है।
इस संदर्भ में कुछ सवाल जो इस देश के जनमानस को आंदोलित कर रहे हैं!
1) घटना के दो ही उद्देश्य नजर आते हैं या तो राजनीतिक या सामाजिक!
राजनीतिक उद्देश्य देश में अस्थिरता पैदा करना और सांप्रदायिक तनाव पैदा करना ताकि वोटो की फसल काटी जा सके यह एक उद्देश्य हो सकता है पर उपरोक्त उद्देश्य से आतंकवादियों को कोई फायदा होता हो ऐसा नजर नहीं आता।
फिर आखिर क्या उद्देश्य रहा होगा ?
भारत के पड़ोसी देश चाहे पाकिस्तान हो या बांग्लादेश स्वयं अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं इसलिए यदि अस्थिरता फैलाने की कोई कोशिश भी की गई है तो वह विश्व की प्रमुख शक्तियों द्वारा की गई होगी। क्योंकि जैसा कि सत्ता पक्ष द्वारा दावा किया जाता है भारत तेजी से विकास के पथ तय करता जा रहा है, इससे इस वजह से जो राष्ट्र विकास के सोपान छू चुके हैं उन्हें तकलीफ होती है।
मोदी सरकार में इतना नैतिक साहस है की वह इन शक्तियों को कोई जवाब दे पाएगी, यह सवाल भी अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है।
2) आजादी के बाद यह पहली ऐसी घटना है जिसमें आतंकवादियों ने नरसंहार करने के पहले लोगों से उनका धर्म पूछा!
दरअसल जो देश की वर्तमान सामाजिक स्थिति है उसमें एक पक्ष विशेष को हमेशा सत्ता पक्ष द्वारा टारगेट किया जा रहा है और यह अनुभव कराए जाने की कोशिश रहती है कि वह दोयम दर्जे के लोग हैं, यह स्थिति एक बड़े वर्ग में नफरत के कारण को प्रेरित करती है और इस सामाजिक ताने-बाने में जब नफरत इस पैमाने पर हो जाती है किन्हीं दो समुदायों में तो ऐसी घटनाएं घट सकती है।
3) यह पूरी तरह से इंटेलिजेंस फेलियर है और इस घटना के बाद यह माना जा सकता है देश का पूरा सीमांत क्षेत्र चाहे मणिपुर हो चाहे कश्मीर हो चाहे
अरुणचल इस समय अराजकता का शिकार हो चुका है!
पर यदि यह सामाजिक कारण है तो उसमें किसी आतंकवादी संगठन का शामिल होना समझ में नहीं आता क्योंकि उनका उद्देश्य आतंक पैदा करना होता है धर्म और आध्यात्म से उसका कोई वास्ता नहीं होता।
4)अगर ऐसा है तो उसका कारण कौन है?
5) इस देश ने दो घटनाएं और देखी है पहले पुलवामा की जिस घटना का आज तक किसी प्रकार का पता नहीं चला है कि उसके पीछे क्या कारण थे कौन लोग थे?
दूसरी कोरोना के समय मौलाना साद को टारगेट किया था लेकिन आज तक हिंदुस्तान की पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई है उसकी वजह भी कभी सरकार द्वारा नहीं बताई गई है।
इस कायरता पूर्ण वीभत्स घटना का पूरा देश विरोध करता है और अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग करता है।
लेकिन सत्ता को भी अपने अंदर झांकना पड़ेगा वह क्या परिस्थितियों रहती है कि जब आतंक को प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव होते हैं तो सत्ता हासिल करने के लिए वह इन्हीं आतंकवादियों को आगे कर चुनाव लड़ती है, या इनकी फंडिंग करती है।
अभी कश्मीर विधानसभा चुनाव में सारे प्रथकतावादी दलों को घाटी में किसने संरक्षण दिया था इसका पता सारे देश को है।
लेकिन जिस तरह कल पूरी घाटी ने इस घटना का विरोध किया और महबूबा मुफ्ती हो या उमर अब्दुल्ला सब नेताओं ने इस घटना का विरोध किया और पहली बार आतंकवाद के विरोध में पूरा कश्मीर खड़ा होता नजर आया।
घटना के बाद आतंकवादी गिरफ्तार कब किए जाते हैं सरकार घटना की मीमांसा को लेकर कितना चिंतित रहेगी और देश में फैली अराजकता को लेकर क्या सरकार के कोई प्रयास रहेंगे या मणिपुर की तरह कश्मीर को भी अनाथ बच्चों की तरह छोड़ दिया जाएगा?
घटना को लेकर कैसा राजनीतिक माहौल पैदा किया जाता है इस बात पर भी घटना का विश्लेषण किया जा सकेगा!
पर आज सारे देश की आंखें नम है सारा देश संवेदना में
सारोबार है, सारे देश में आक्रोश है और सारा देश चाहता है इस घटना की पूरी जांच हो यदि इस पर भी पुलवामा की तरह ठंडे छिटे डाले गए तो शायद इस बार देश की जनता को बेवकूफ बनाना इतना आसान न होगा!
ओम शांति शांति
साभार=पिनाकी मोरे