वह तो बड़े गुरुर से बोल पड़े थे कि बीजेपी को आरएसएस की जरूरत ही नहीं?

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

जेपी नड्डा बड़े गर्व में बोले थे कि अब भाजपा को RSS की जरूरत नहीं है।

लेकिन जब लोकसभा का परिणाम आया तो पांव तले से जमीन खिसक चुकी थी!
रंगा- बिल्ला आसमान से लौटकर जमीं पर आये।
भाजपा के जगह पर एनडीए बोलने लगे।

आगे चार राज्यों में चुनाव है। ऐसे में यदि दो राज्य मे भी हार हुई तो सत्ता जाने की आशंका सताने लगी।
रंगा-बिल्ला के उपर मर्डर, भ्रष्टाचार के अनेकों आरोप हैं, सत्ता के दुरूपयोग से सारे निर्णय अपने फेवर मे कराकर फाइल बन्द है। पर सत्ता नही रहने पर इनकी फाइल खुलते ही जेल या फांसी हो सकती है।

इस बीच कमांडर इन चीफ मोहन भागवत ने दो बार छींक लगा चुके हैं!इन सारे खतरों एवं भय के मारे ” एक अकेला सब पर भारी ” डींगे हांकने वाले RSS के शरणागत हो गये।

इसके उपर लगे 58 साल पुराने बैन को हटा लिया। अब सरकारी कर्मचारी भी RSS के शाखा, कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं।
चुनाव जीत कर संविधान नही बदल पाये तो अब सरकारी दफ्तरों के माध्यम से संस्थानों पर कब्जा करेंगे।

संवाद: विश्वजीत सिंह,पिनाकी मोरे

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