ड्रेकुला एक ऐतिहासिक किरदार का नाम है जिसने सल्तनत उस्मानिया से टक्कर ली और उसके फौजियों का खून पिया!
ड्रैकुला नाम सुनते ही हॉलीवुड की फिल्मों का खून पीने वाला किरदार ज़ेहन में घूमने लगता है मगर क्या आपको पता है ड्रैकुला एक एतिहासिक किरदार का नाम है जिसने सल्तनत उस्मानिया से टक्कर ली और उसके फौजियों का खून पिया !
इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार
ड्रैकुला जिसका पुरा नाम विलाद तृतीय ड्रैकुला था जो कि वालीचिया का हुकमरान था लैटिन में ड्रैकुला का मतलब ड्रैगन जबकि रोमानिया में ड्रैकुला का मतलब ‘डेविल’होता है !
ड्रैकुला इतिहास का सबसे क्रूर हुकमरान था लकड़ी के भालों को जमीन में गाड़ कर उस पर जिंदा इंसान को बिठा देता था।
इंसानी बदन अपनी वजन की वजह से धीरे धीरे भाले में धंसता जाता इस तरह जान निकलने में दो से तीन दिन लग जाते। इसके इलावा खोपड़ी में कील ठोक कर मारना और इंसान को मारते हुए खाना खाना शराब में इंसानी खून मिला कर पीना उसका खास शौक था। उसने सिर्फ अपने ही लोगों पर जुल्म नहीं किये बल्कि यहूदी, इसाई, तुर्क, जर्मन और इटली के लोगों पर भी जुल्म ढाए।
गौर तलब हो कि सन् 1462 में उसके ज़ुल्मों की कहानी सुनकर फातेह कुस्तुनतुनिया (इस्तांबुल) सुलतान मोहम्मद दोयम ने उस पर चढाई करने की ठानी उससे पहले सुलतान की फौज का एक हिस्सा और कुछ स्थानीय लोगो से ड्रैकुला का मुकाबला हुआ। जब उस मैदान में सुलतान मोहम्मद दोयम पहुँचा तो क्या देखता है कि कई किलोमीटर में शहतीर (लकड़ी के भाले) गड़े है और हर एक पर सुलतान की फौज का एक सिपाही लटक रहा है करीब बीस हजार लाशे लटकी हुई थी !
ड्रैकुला का एक भाई रादो था जो मुसलमान होगया था उसको कुछ फौज देकर सुलतान वापस तुर्की लौट आया इस लड़ाई में ड्रैकुला भाग खड़ा हुआ और उसका भाई वालीचीया का हुकमरान बन गया जो उस्मानिया खिलाफत के अधीन रहा,
रादो कुछ साल हुकूमत करने के बाद जब मर गया तो फिर से हुकूमत डैकुला के हाथ आ गई। सल्तनत उस्मानिया के खिलाफ लड़ते हुए रोमानिया के शहर बुखारेस्ट में 1476 मे वह कत्ल कर दिया गया। उसके सिर को इस्तांबुल के चौराहे पर कई दिनो तक लटकाये रखा गया।ड्रैकुला को रोमानिया अपना नेशनल हीरो मानता है उनके अनुसार ड्रैकुला ने बाहरी दुश्मनों से मुल्क की हिफाजत के लिए जंग लड़ी।
इतिहासकारों का मानना है कि ब्रेम स्टोकर के 1897 मे लिखी मशहूर उपन्यास का ड्रैकुला जिसके के उपर कई फिल्मे भी बनी असल में यही विलाद तृतीय ड्रैकुला है।
संवाद: मो अफजल इलाहाबाद