मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में सामग्री की बड़ी गड़बड़ी और भोजन को तरसे बराती

संवाददाता तकीम अहमद दमुआ

*मुख्यमंत्री कन्यादान* *योजना मे भारी गड़बड़ घोटाला
1..भ्रष्टाचारियों के लिए वरदान बनी मुख्यमंत्री की कन्यादान विवाह योजना

2..मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हुई लापरवाही की खुलती कलई

3..एक थाली के भोजन को तरस गए आदिवासीजन ओर बच्चे और बुजुर्ग लोग
4..अव्यवस्था का रहा आलम, नहीं मिला आदिवासी मेहमानों को भरपेट भोजन

जुन्नारदेव दमुआ
मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना इन दिनों भ्रष्टाचारियों के लिए वरदान बन गई है.। बीते बुधवार को जनपद पंचायत जुन्नारदेव के अंतर्गत मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत विवाह समारोह आयोजित किया गया था।

इसमें इस जुन्नारदेव विकासखंड के लगभग 391 नवयुगल परिणयबद्ध हुए थे। इस आयोजन में लापरवाही और भ्रष्टाचार अपने चरम पर दिखाई दिया, जहां एक और पहले से ही बहुसंख्यक आदिवासी नवयुगलो को घटिया गुणवत्ता की दहेज़ सामग्री का वितरण करने से हड़कंप मचा हुआ है। वही इस आयोजन में लगभग 80 किलोमीटर के दायरे से आए आदिवासी मेहमानों को अपने भरपेट भोजन के लिए तरसना पड़ा।

जनपद पंचायत जुन्नारदेव के द्वारा दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से आए लगभग 3000 लोगों के लिए भी भोजन की पर्याप्त व्यवस्था करने में पसीने छूट गए। आयोजन स्थल कन्हान क्षेत्रीय स्टेडियम में आयोजित इस समारोह के लगभग प्रत्येक हिस्से में बाराती बनकर पहुंचे।आदिवासीजन पहले थाली और फिर उसमें रखे जाने वाले भोजन को ढूंढते नजर आए। इसके अलावा बताया जाता है कि इस मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में भोजन की गुणवत्ता भी निर्धारित मानकों के विरुद्ध थी!

दहेज के लिए भटक रहे नवयुगल, नहीं मिले पलंग और अलमारी, नवयुगल लगा रहे जनपद के चक्कर.

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत परिणयबद्ध हो चुके नवयुगल को 48 घंटों के बाद भी अब तक उनके दहेज की समस्त सामग्री प्राप्त नहीं हो पाई है.। आज शुक्रवार को बड़ी संख्या में नवयुगल या उनके परिवार के सदस्य स्थानीय जनपद पंचायत परिसर में भटकते देखे गए। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को लगभग 60 हितग्राहीयो को नवयुगल को पलंग का वितरण किया गया, जबकि अभी इन्हें अलमारी प्रदान ही नहीं की गई है। जनपद के सूत्र बताते हैं कि अलमारी के आपूर्तिकर्ता के द्वारा अब तक शेष रह गई अलमारियों की आपूर्ति ही नहीं की गई है।

ऐसे बताया जाता है कि शेष रह गई अन्य दहेज सामग्री के शनिवार तक पूरी तरह से जनपद पंचायत पहुंचने की संभावनाएं हैं, प्रशासन की इस बड़ी कमजोरी का खामियाजा यह नवयुगल जोड़ों को भोगना पड़ रहा है। जिन्हें अलग-अलग चक्कर लगाकर अपनी दहेज सामग्री को अतिरिक्त खर्च में अपने घर पहुंचाना पड़ रहा है। यह बड़ा आश्चर्य है कि इस घटिया दहेज सामग्री का परिवहन का खर्च उनकी कुल कीमत से ज्यादा उसकी ढूलाई में हो रहा है।

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