आखिरकार उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अभियंता संघ के चुनाव का बज गया बिगुल।

हाले उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन

लखनऊ:बहुप्रतीक्षित अभियन्ता संघ के चुनाव की आखिरकार घोषणा हो ही गयी और घोषणा के साथ ही साथ शुरू हो गयी नामांकन की प्रक्रिया भी । इस बार भी चर्चित भ्रष्टाचारी जो कि 25 लाख की गाडी से चलते है व अपने क्रियाकलापो से अभियन्ता संघ के इतिहास मे सबसे काला अध्य्य जोडने वाले घमण्डी अभियन्ता महोदय ने भी फिर से नामांकन कर भी दिया है ।

अबकी बार यह चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाला है क्योकि पिछली बार जो अध्यक्ष महोदय के साथ साथ उनकी कार्यकारणी के भी भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था । पूर्व अध्यक्ष जो कि वर्तमान मे सेवानिवृत्त हो चुके है के द्वारा संचालित खरीदे गये ट्रान्सफार्म घोटाला सामने आया था।

जिसकी वजह से पूरे समय अभियन्ता संघ पर प्रबन्धन पूरे दबाव के साथ संघ पर दबाव बनाए हुआ था और जो महासचिव महोदय थे वो भी कुछ खास कर नही पाए क्यो कि उनकी तो मात्र कुछ सालो की नौकरी है जिसमे उन्होने भ्रष्टाचार की बुलंदियो को छूते हुए 25 लाख की गाडी से चलने का कारनामा खोला था उसका क्या हिसाब-किताब उन्हो ने दिया?

यह बात मायने नही रखती क्योकि अब तो यह सारी बाते पुरानी हो चुकी है और कार्पोरेशन की फाईलो मे दब गयी है। अब संघ का चुनाव फिर से होने वाला है लेकिन अबकी बार स्वच्छ छवि वाले ही इस संगठन की कमान सभाले तभी अच्छा होगा और तभी मेमोरेंडम आफ आर्टिकल को लागू करा कर बडका बाबूओ की तानाशाही से विभाग को सबको मुक्त करा पाएगे ।

अभियन्ता संघ पर प्रदेश की जनता को बिजली कम से कम कीमत पर व निर्बाध विद्युत आपूर्ती की जिम्मेदारी उठाने वाला प्रमुख संगठन होता है यह वो संगठन है जो सरकार व ऊर्जा प्रबन्धन की गलत नितियो का विरोघ करता है। अगर पूर्व कार्यकारणी की तरह भ्रष्ठ कार्यकारणी चुनी जाएगी तो फिर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन का निजीकरण पक्का है।

अब यह सभी अभियन्ताओ को सोचना है कि वो किसे चुने। अगर उनका चुनाव सही होता है तो कार्पोरेशन के साथ-साथ जनता का भी भला होगा और कही चुनाव गलत होता है तो संगठन के साथ साथ जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पडेगा ।

वैसे अभियन्ता संघ के चुनाव को ले कर पूरे प्रदेश के ऊर्जा विभाग मे गहमा गहमी है जगह जगह प्रत्याशियो को ले कर बैठको का दौर जारी है और चर्चा यह भी हो रही है कि पिछली कार्यकारणी के कार्यकाल मे जो हुआ वो भविष्य मे फिर से कभी नही होना चाहिए जिससे फिर कभी संघ ऐसे शर्मसार ना हो।

वैसे चुनाव को ले कर चर्चाओ का बाजार गर्म है कि पूर्व मे सरकार व प्रबंधन की गलत नीतियो के विरोध मे शेर की तरह दहाडने वाला संघ भ्रष्टाचारियो के हाथो मे जाने से वर्तमान प्रबंधन के सामने बिल्ली की तरह मीआऊ मीआऊ करने की स्थिती मे आ गया है।

उसको इस परिस्थित से किस तरह से उबारा जाए इसकी चर्चा जोरो पर है कि फिर से ऐसी स्थिती फिर कभी ना संघ के सामने आए और प्रबंधन के सामने ना झुकना पडे यही मंन्थन पूरे प्रदेश मे चल रहा है । खैर । युद्ध अभी शेष है ।

संवाद


अविजित आनन्द

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