इन 43 कलमकारों कोआवांटित सरकारी आवास अतिशीघ्र ही खाली करने पद सकते है वजह जानकर आप भी रह जाएंगे दंग!
लखनऊ, उत्तर प्रदेश राज्य संपत्ति विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 43 कलमकारों के सरकारी आवास का वर्ष 2022 में नवीनीकरण नहीं किया गया है और सम्भवतः इन पत्रकारों को आवंटित सरकारी आवास अतिशीघ्र खाली करने पड़ सकते है।
बतादेन कि योगी सरकार कहने को तो कलमकारों के हितों की कई योजनाओं पर काम कर रही है लेकिन कोई भी योजना आज तक सफल इसलिए नहीं हो पाई कि कलमकारों के अपने ही कई गुट हैं और हर गुट सिर्फ अपने हित के लिए काम करता है।
मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अंतर्गत राज्य एवं जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त कलमकारों और उनके परिवारों के सदस्यों को चिकित्सा सुविधा लाभ मिलने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी, लेकिन वह योजना भी आगे नही बढ़ सकी और गुटबाजी की भेंट चढ़ गई जिसका नतीजा ये है कि आज तक किसी भी मान्यता प्राप्त कलमकार को आयुष्मान कार्ड नहीं मिल सका है? ।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सहफियों की आवास से संबंधित बड़ी समस्या के समाधान हेतु योगी सरकार द्वारा निशुल्क जमीन भी चिन्हित की गई थी, लेकिन गुटबाज़ी के चलते उन की आवास की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अगस्त 2016 में विधानसभा में राज्य संपत्ति विभाग के नियंत्रण वाले भवनों का सहाफियो, राज्य कर्मचारियों, अधिकारियों, कर्मचारी संघ, राजनीतिक दलों समेत अन्य लोगों को भवन आवंटित किए जाने का प्रावधान रखा गया था,
परंतु कलमकारों के एक बड़े समूह जिनके द्वारा पिछली सरकारों में रियायती दरों पर भूखंड प्राप्त कर बड़े-बड़े आलीशान महल बनाकर महंगे किराए पर उठा रखा है, वहीं सरकारी मकानों पर अपना मालिकाना हक समझकर पीढ़ी दर पीढ़ी उस पर काबिज दिखते हैं।
अपने जुगाड़ तंत्र के चलते साल दर साल सरकारी मकानों को खाली करने का उनका कोई इरादा भी नहीं दिखता हैं। अनाधिकृत रुप से पत्रकारों के नेताओं द्वारा सरकारी मकानों पर काबिज़ होने के कारण जिन पत्रकारों को वास्तविकता में सरकारी आवास की अत्यंत आवश्यकता है उन पत्रकारों को सरकारी आवास आवंटित नहीं हो पा रहे हैं, अनेक ऐसे पत्रकार है जिनको लखनऊ शहर में आवास न होने के कारण विकट समस्याएं हैं।
उनके द्वारा सरकारी आवास के लिए आवेदन किया जाता रहा है परंतु कुछ नामचीन सहाफी जिनके द्वारा सरकारी आवास खाली नहीं किए जा रहे हैं उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलकर 222 कलमकारों के आवेदन आनन फानन में रद्द करा दिए।
सरकारी आवास के मोह में अनेक सीनियर कलमकार द्वारा राज्य संपत्ति विभाग को इस आशय का फर्जी शपथ पत्र भी दिया है कि उनके एवं उनके परिवार में लखनऊ शहर में किसी भी तरह का कोई आवास नहीं है ।
जबकि इसके विपरीत अनेक ऐसे कलमकार हैं जिनको लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा रियायती दरों पर गोमती नगर क्षेत्र में बहुमूल्य भूखंड आवंटित किए गए थे, जिस पर बड़े-बड़े बंगले बना कर लाखों रुपया मासिक किराया वसूल किया जा रहा है, परंतु अपने ही साथीकलमकारों के हित में झूठे शपथपत्र देकर खुद को कानून की नजर में अपराधी बनाने से भी ये चौथा स्तंभ नही डगमगाता। न कानून के प्रावधानों का डर दिखता है और ना ही अपने साथी कलमकारों की जरूरतों का ख्याल रहता है,
ऐसे कुछ कलमकार नेता अपनी जुगाड़ के चलते अपने आवास का नवीनीकरण तो करा लेते हैं लेकिन ऐसे अनेक ज़रूरतमंद कलम के धनी पत्रकार जो खबरों की दुनिया में मुख्यधारा से जुड़े हैं वो सरकारी आवास आवंटन हेतु केवल अर्जी लगाते रह जाते हैं वहीं ऐसे पत्रकार जो जोड़ तोड़ की गणित और पत्रकार संगठनो की राजनीति से कोसों दूर है उनके आवास का नवीनीकरण उत्तर प्रदेश सरकार के नौकरशाह नही कर रहे है!