50 राजनगर विधानसभा क्षेत्र में अस्मिता का सवाल जनता कशमकश में, आखिर किसको मिलेगा टिकट, किसके सर बंधेगा ताज और कौन होगा बेताज बादशाह ?

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म.प्र.:-रिपोर्टर.

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की राजनगर बिधानसभा क्षेत्र से बिषम और बिपरीत परिस्थितियों में भी सन् 2008 और सन् 2013 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम लहराने में सफल रहे विक्रम सिंह (नाती राजा) को इस बार अपने पूर्व सहयोगी और पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी (विनोद भैया) के पुत्र मोह से जूझना पड़ रहा है !

चूंकि सत्यव्रत अपने राजनैतिक संन्यास की घोषणा कर चुके हैं।

अपने पुत्र नितिन हम चतुर्वेदी (बंटी भैया) को राजनैतिक रुप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, इन्हीं कोशिशों के बीच कभी बिजाबर कभी राजनगर तो कभी किसी अन्य सिंह क्षेत्र से पुत्र को टिकट दिलाने की कोशिश करते हैं।

छतरपुर जिले में राजनगर विधानसभा क्षेत्र में बतौर कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह ने निजी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के साथ जो घनिष्ठ संबंध स्थापित किये है।

उन संबंधो के कारण राजनगर बिधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रति विक्रम सिंह (नाती राजा) के कारण जन सामान्य में एक अपनेपन की भावना जन्मी हैl
जिसके कारण यहां सती ब्रश का मन पुत्र मोह में फंसा हुआ है।

एक समय था जब सत्यव्रत चतुर्वेदी पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह (मुन्ना राजा) को राजनैतिक मात देने के लिए नाती राजा को सहयोग करते रहे !

इस सहयोग और आपसी संबंधों की मधुरता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि नाती राजा ने अपने बिधायकी के सेबाधि के दौरान किये कार्यों को लेकर जो स्मारिका प्रकाशित कराई थी।
उसमें अपने परिजनों के साथ सत्यव्रत चतुर्वेदी का चित्र प्रमुखता से लगाया था।

लेकिन समय बदला दिल बदला कहते हैं कि राजनीति में कोई स्थाई न तो दोस्त होता और न दुश्मन की तर्ज पर बीते वर्षों में मुन्ना राजा और नाती राजा के बीच संबंधों में भी बदलाव देखा गया।

जिसके चलते ही शंकर प्रताप सिंह मुन्ना राजा इस बार राजनगर बिधानसभा क्षेत्र छोड़ बिजाबर विधानसभा क्षेत्र में दावेदारी कर रहे हैं।
और सत्यव्रत चतुर्वेदी पुत्र मोह के चलते नाती राजा को उनके ग्रह क्षेत्र से बेदखली की कोशिश करते दिखाई दें रहे हैं।

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