हीरो शब्द मूलतह फ्रेंच भाषा का है,जिसे शुरआत मैं यहा गुंडे मावलियों के लिए यूज किया जाता था

अभी तो बस झांकी है 2024 बाकी है।

Hero शब्द मूलतः फ्रेंच भाषा का है जिसे वहां शुरुआत में गुंडे-मवालियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था लेकिन समय के फेर में यह आज जिस रूप में प्रचलित है, सभी जानते हैं।
ऐसी ही एकदम विपरीत स्थिति कुपात्रों द्वारा इस्तेमाल करने से ‘जय श्रीराम’ की हो गई है।

अब इसका इस्तेमाल सामूहिक रूप से जिस तरह उत्तेजना में भरकर चीखते-चिल्लाते हाथों में लाठी, डंडे, भाले, तलवार, त्रिशूल लहराते उछल-कूद मचाते हुडदंगो की भीड़ करती दिखाई देती है उसका प्रयोजन आत्मकल्याण, ईश्वर के प्रति सुकोमल भक्ति भाव नहीं होता; बल्कि इसके उद्घोष में दूसरों के प्रति आक्रामकता, घृणा, वर्चस्ववाद, हिंसा, उद्दंडता आदि जैसे नकारात्मक भाव स्पष्ट दिखाई देते हैं।

रामनवमी पर जिस तरह जय श्रीराम के नारे लगाते हुए जगह-जगह तोड़-फोड़ और आगजनी का उपद्रव किया गया क्या वह किसी भी दृष्टि से भक्तिमय था? रामकथा के अनुसार तो शिवभक्त रावण के अनुचर भी इसी तरह शैव धर्म के नाम पर मार-काट, उत्पात मचाया करते थे।
रावण भी लोगों को अपनी रक्ष संस्कृति में शामिल होकर निश्चिंत होने का आश्वासन दिया करता था।

जिसकी तुलना वर्तमान समय में भाजपा में शामिल होने वाले भ्रष्टाचार, हत्या, बलात्कार, तस्करी व अन्य तरह की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त कुकर्मियों को दिये जा रहे अभयदान से की जा सकती है। उनके तमाम कुकर्मों पर पर्दा डालकर गले लगाया जाता है, उनके समर्थन में तिरंगा लहराते हुए जुलूस निकाले जाते हैं, फूल-मालाओं से लाद कर स्वागतम-सत्कार किया जाता है, पुलिस में मामला दर्ज होने पर सबूत नष्ट कर दिये जाते हैं, आरोपियों को सुरक्षित ठिकानों पर छिपाया जाता है। उन्हें जेल से मुक्त किया जा रहा है।

मोदी सरकार द्वारा जिस तरह जनता पर तरह-तरह के टैक्स लगाकर उसका खून चूसा जा रहा है और देश में अराजकता का माहौल जानबूझकर बना

या जा रहा है उससे क्या रावण राज में और आज की स्थिति में कोई अंतर मालूम होता है?
इससे यह अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है कि यदि देश की जनता विवेक से काम नहीं लेगी तो 2024 के बाद भारत की दशा रावण की लंका से भी बुरी होने से कोई नहीं बचा सकेगा।

संवाद
पिनाकी मोरे

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